
खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा में निर्माणाधीन रेल लाइन का ट्रैक मामूली बारिश में ही ढह गया। यहां रेल ट्रैक के नीचे से अचानक मट्टी खसक जाने से ट्रैक हवा में झूलता नजर आया। घटना खंडवा जिले के टाकलखेड़ा स्टेशन के पास की है। घटना के बाद रेलवे के इंजीनियर मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। रेलवे के इंजीनियर्स ने निर्माण कंपनी के इंजीनियर्स के साथ मौके का निरीक्षण किया। हालांकि ये ट्रैक अभी रेलवे को हैंडओवर नहीं हुआ है।
खंडवा में अब तक 214 एमएम बारिश
करीब 2.5 किमी ट्रैक के नीचे की मिट्टी खिसकने को रेलवे की बड़ी लापरवाही मानी जा रही है। बता दें कि लंबे समय से खंडवा अकोला ब्रॉडगेज रेलवे लाइन का काम चल रहा है। खंडवा जिले में गुड़ी गांव के स्थानीय लोगों ने बताया कि, खंडवा के आगे टाकलखेड़ा स्टेशन से मोरधड़ स्टेशन के बीच पटरियां हवा में लटक गई हैं। यहां ज्यादा बहाव भी नहीं था, और बारिश भी अभी तेज नहीं हुई है। खंडवा जिले में अभी सिर्फ 214 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई है। इतनी मामूली बारिश में रेलवे की पटरी बिछने के बाद इस तरह की गड़बड़ी सामने आने पर लोग निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) July 15, 2023
दो हजार करोड़ का टेंडर
साउथ सेंट्रल रेलवे के नांदेड मंडल ने खंडवा-अकोला रेल खंड पर फेस चार में करीब दो हजार करोड़ के टेंडर अलग-अलग कंपनियों को दिए हैं। इसमें खंडवा से आमला खुर्द, आमलाखुर्द से तुकईथड़ स्टेशन और आकोट से अड़गांव स्टेशन तक के ब्रॉडगेज रेल मार्ग परिवर्तन का कार्य किया जा रहा है। खंडवा से आमलाखुर्द के बीच 54 किमी ब्रॉडगेज परिवर्तन का कार्य पिछले दो सालों से जारी है। इसी ट्रैक में गड़बड़ी सामने आई है।
आमला खुर्द से तुकईथड़ स्टेशन के बीच 13 किमी ब्रॉडगेज रेलमार्ग परिर्वतन के लिए 260 करोड़ रुपए की लागत निर्धारित की है। इसमें आमला खुर्द के पास तापी नदी पर बड़ा रेलवे ब्रिज का भी निर्माण किया जाएगा। वहीं आकोट से बड़गांव रेलवे स्टेशन तक 12 किमी ब्रॉडगेज रेल मार्ग जाने के लिए 180 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए गए हैं।
क्या है हादसे की वजह
इधर साउथ सेंट्रल रेलवे नांदेड मंडल के आईओडब्ल्यू आशुतोष कुमार का कहना है कि, रेलवे लाइन के किनारे बनाई गई रिटेनिंग वॉल के गिरने से यह हादसा हुआ। क्योंकि ट्रैक की ऊंचाई के लिए बनाई दीवार के दूसरे साइड में मुरम का दबाव नहीं होना बताया गया है। हमें खेत की ओर से मुरम पत्थर डालना था, तब दीवार टिकी रहती। इस घटना की जांच करेंगे फिलहाल यह रेलवे को हैंड ओवर नहीं हुआ है।
(इनपुट- हेमंत नागले)