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अडानी समूह को राहत, SC का धारावी पुनर्विकास परियोजना पर रोक से इनकार, UAE बेस्ड कंपनी को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई की महत्वाकांक्षी धारावी पुनर्विकास परियोजना (DRP) के लिए चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा अडाणी ग्रुप के पक्ष में दिए गए फैसले को भी पलटने से इनकार कर दिया। यह फैसला यूएई बेस्ड सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार के 2019 की उसकी बोली को रद्द करने और 2022 में नए टेंडर के तहत परियोजना को अडाणी ग्रुप को सौंपने के फैसले को चुनौती दी थी।

प्रोजेक्ट पर नहीं लगेगी रोक- सुप्रीम कोर्ट

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि प्रोजेक्ट पर काम पहले ही शुरू हो चुका है, जिसमें रेलवे क्वार्टरों को ध्वस्त करना भी शामिल है। इसलिए, अब निर्माण कार्य पर रोक लगाना उचित नहीं होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अडाणी प्रॉपर्टीज को नोटिस जारी करते हुए इस पर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी।

सेकलिंक ने अपनी बोली बढ़ाने की पेशकश की

सेकलिंक टेक्नोलॉजीज ने अदालत को बताया कि वह परियोजना के लिए अपनी 7,200 करोड़ रुपए की मूल बोली में 20% का इजाफा करने को तैयार है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने सेकलिंक को अपनी संशोधित बोली की पूरी जानकारी हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

मामला क्या है

धारावी, एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक है, जिसे पुनर्विकास करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 2019 में एक वैश्विक टेंडर जारी किया था। सेकलिंक टेक्नोलॉजीज ने 7,200 करोड़ रुपए की सबसे ऊंची बोली लगाकर यह टेंडर हासिल किया था।

हालांकि, 2019 और 2022 के बीच आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सेकलिंक की बोली को रद्द कर दिया और 2022 में नया टेंडर जारी किया। इस नए टेंडर में अडाणी ग्रुप को धारावी पुनर्विकास परियोजना सौंप दी गई।

सेकलिंक ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दिसंबर 2024 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया और अडाणी ग्रुप को परियोजना सौंपे जाने के फैसले पर मुहर लगा दी।

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