सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों का एक साल के लिए निलंबन रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी के फैसले को असंवैधानिक और मनमाना बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये निलंबन 2021 जुलाई में चल रहे मानसून सत्र के लिए ही हो सकता था।
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की
इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की है। अदालत ने कहा कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं बल्कि तर्कहीन भी है। बताया जा रहा है कि इससे पहले की सुनवाई में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र शासन के वकील अर्यमा सुंदरम से सत्र की अवधि के बाद भी साल भर तक निलंबन के आधार को लेकर कई सीधे और तीखे सवाल पूछे थे।
‘एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है। क्योंकि इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। यदि निष्कासन होता है तो उक्त रिक्ति भरने के लिए एक तंत्र है। माना जा रहा है कि एक साल के लिए निलंबन, निर्वाचन क्षेत्र के लिए सजा के समान होगा। जब विधायक वहां नहीं हैं तो कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। निलंबन सदस्य को दंडित नहीं कर रहा है बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित कर रहा है।