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कुटुंब न्यायालय: ससुराल में अटैच शौचालय नहीं था तो नवविवाहिता ने किया तलाक का केस, चार साल बाद पति को पत्नी की मांग लगी जायज

भोपाल। ‘टायलेट एक प्रेमकथा’ मूवी तो आप सबको याद ही होगी। मूवी की स्टोरी से मिलता-जुलता एक मामला राजधानी में सामने आया है। यहां के कुटुंब न्यायालय में एक ऐसा ही प्रकरण चार साल तक चला। एक नवविवाहिता ने घर में अटैच शौचालय न होने के कारण पति के खिलाफ तलाक का केस लगा दिया, ताकि पति व ससुराल वाले उसकी समस्या को समझें और शौचालय बनवाएं।

पति ने नहीं दिया पत्नी की बातों पर ध्यान

भोपाल से शादी रचाकर विदिशा अपने ससुराल पहुंची एक ऐसी लड़की का मामला कुटुंब न्यायालय में पहुंचा, जिसे शादी के बाद न तो व्यवस्थित घर मिला और न ही उसके कमरे से जुड़ा हुआ शौचालय मिला। उसने अपनी बात पति और ससुराल वालों से कही तो उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। ससुराल वालों को शायद अंदाजा नहीं होगा कि बहू की यह मांग उन पर इतनी भारी पड़ जाएगी कि उन्हें कुटुंब न्यायालय के चक्कर काटने पड़ेंगे।

कुटुंब न्यायालय में लगाया तलाक का केस

शादी के दो माह बाद महिला अपने मायके चली आई। उसे लगा कि इससे उसके ससुराल वाले उसकी परेशानी समझेंगे, लेकिन 6 माह बाद भी जब बहू को कमरे से अटैच शौचालय नहीं मिला तो उसका गुस्सा और भी बढ़ गया। अब उसने ठान लिया कि बदलाव लाने के लिए उसे कुटुंब न्यायालय में तलाक का केस लगाना ही पड़ेगा। उसने पति के खिलाफ तलाक का केस लगा दिया। साढ़े चार साल से अधिक समय से पति-पत्नी दोनों अलग रह रहे थे।

पत्नी ने तलाक का केस वापस लिया

चार साल की लंबी लड़ाई के बाद पति को लगा कि पत्नी की मांग जायज है। इसके बाद उसने पत्नी की सुख-सविधाओं को ध्यान में रखकर आवश्यकतानुसार घर का दोबारा निर्माण कराया। साथ ही उसके कमरे से अटैच शौचालय का निर्माण भी कराया। इसके बाद पत्नी ने तलाक का केस वापस ले लिया और ससुराल जाने के लिए भी तैयार हो गई। पति ने फिर से पत्नी की विदाई कराई और अपने घर ले आया। हाल ही में आयोजित हुई लोक अदालत में इस मामले का निराकरण हुआ।

क्या है पूरा मामला

भोपाल निवासी एक युवती की शादी 5 वर्ष पहले विदिशा में हुई थी। पति सरकारी स्कूल में टीचर है। युवती ने बताया कि शादी के बाद जब वह ससुराल पहुंची तो वहां का घर अव्यवस्थित मिला और अटैच शौचालय नहीं था। उसे वहां रहना मुश्किल हो रहा था। शौचालय बनाने को लेकर पति से विवाद भी बढ़ने लगा, जिसके बाद मैं रूठकर मायके आ गई। इसके बाद भी ससुराल वाले शौचालय बनाने के लिए तैयार नहीं थे। काउंसिलिंग में पत्नी का कहना था कि वह बचपन से कमरे से अटैच बाथरूम में जाती रही है, लेकिन ससुराल जाने पर वहां पर शौचालय ही नहीं था। उसने ससुराल वालों और पति के सामने अपनी बात रखी, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी। महिला का कहना है कि उसने चार साल तक पति द्वारा शौचालय बनवाने का इंतजार किया।

पति बोला घर में और भी महिलाएं

इस मामले में पति का कहना था कि घर में अन्य महिलाएं भी हैं, लेकिन कभी भी उन्हें कोई समस्या नहीं हुई। अब पत्नी की खातिर अगर शौचालय को कमरे से जुड़ा हुआ बनाता तो घरवालों को अच्छा नहीं लगता। इस कारण वह नहीं बनवा रहा था। लेकिन काउंसलर के समझाने के बाद और पत्नी की बात सुनकर उसकी मांग जायज लगी तो घर में पत्नी की इच्छानुसार शौचालय बनवाया।

केस वापस ले लिया

कुटुंब न्यायालय की काउंसलर सरिता राजानी ने बताया कि पति-पत्नी के बीच घर में शौचालय बनाने को लेकर विवाद था। पति और ससुराल वालों को काउंसिलिंग कर समझाया गया। जब पति ने शौचालय का निर्माण कराया, तब पत्नी ससुराल जाने के लिए तैयार हुई और केस वापस लिया।

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