
नई दिल्ली। आदित्य एल1 (Aditya L1) अपने मिशन के अतिंम और सबसे कठिन पड़ाव में पहुंच चुका है। इसके पृथ्वी और सूर्य के बीच हेलो ऑर्बिट में एंट्री करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। जानकारी के मुताबिक, यह 7 से 8 दिन के अंदर अपने लक्ष्य यानी लैगरेंज पॉइंट तक पहुंच जाएगा। यह पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है।
लैगरेंज पॉइंट से सूरज पर रखेगा नजर
आदित्य एल 1 की लैगरेंज पॉइंट में एंट्री, इस मिशन का सबसे जटिल फेज है। जिसके लिए सटीक नेविगेशन और कंट्रोल की जरूरत होगी। भारत का सूर्य मिशन अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। जल्द ही आदित्य एल 1 उस पॉइंट पर पहुंच जाएगा, जहां उसे स्थिर रहकर सूरज पर नजर रखनी है और अध्ययन करना है।
5 साल तक एक पॉइंट पर स्थिर रहेगा
ISRO प्रमुख ने बताया कि जब आदित्य L1 लैगरेंज पॉइंट में एंट्री करेगा, तो हम एक बार फिर इंजन चालू कर देंगे, जिससे यह आगे न बढ़ें। जब यह अपने लक्ष्य बिंदु तक पहुंच जाएगा तो यह उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाएगा और स्थिर बना रहेगा। यह अगले पांच वर्षों तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद करेगा। इसके डाटा से सूर्य के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
क्या है लैगरेंज पॉइंट ?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच-मैथमैटीशियन-जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1(Aditya L1) के नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच हैं, जहां गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। ऐसे में इस जगह पर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है।
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