
स्टॉकहोम। साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान सोमवार से शुरू हो गया। इसके तहत फिजियोलॉजी या मेडिसिन क्षेत्र के लिए अमेरिका के दो वैज्ञानिकों विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को मेडिसिन का नोबेल अवॉर्ड दिया गया। दोनों को माइक्रो आरएनए की खोज के लिए यह सम्मान मिला है। इस साल का अवॉर्ड 1901 के बाद से मेडिसिन में दिया जाने वाला 115वां नोबेल पुरस्कार है। उल्लेखनीय है कि माइक्रो आरएनए में असाधारण बदलाव होने की वजह से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
क्या है माइक्रो आरएनएन
माइक्रो आरएनए से पता चलता है कि शरीर में कोशिकाएं कैसे बनती और काम करती हैं। दोनों जीन वैज्ञानिकों ने 1993 में माइक्रो आरएनए की खोज की थी। इंसान का जीन डीएनए और आरएनए से बना होता है। माइक्रो आरएनए मूल आरएनए का हिस्सा होता है। ये पिछले 50 करोड़ सालों से बहुकोशिकीय जीवों के जीनोम में विकसित हुआ है। अब तक इंसानों में अलग-अलग तरह के माइक्रो आरएनए के एक हजार से ज्यादा जीन की खोज हो चुकी है।
शरीर पर पड़ता है असर
- इंसान के शरीर में माइक्रो आरएनए के बिना सेल और टिश्यू डेवलप नहीं हो सकते हैं।
- इसके जीन कोडिंग में म्यूटेशन होने की वजह से इंसान के शरीर में सुनने की क्षमता, आंखों और शारीरिक बनावट में समस्या आती है।
8.90 करोड़ का कैश प्राइज मिलेगा : नोबेल अवॉर्ड स्वीडन के स्टॉकहोम में दिए जाते हैं। इसमें 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी लगभग 8.90 करोड़ रुपए का कैश प्राइज दिया जाता है।