
तरुण यादव, भोपाल। नियमितीकरण की मांग और सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में रविवार को अतिथि विद्वानों ने राजधानी के नीलम पार्क में एक दिवसीय सांकेतिक प्रदर्शन किया। अतिथि विद्वानों ने कहा- हम यहां टाइगर (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान) को उनका वादा याद दिलाने के लिए आए हैं। हम इंतजार कर रहे हैं कि टाइगर आए और हमारा भविष्य सुरक्षित करे। विद्वानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे मजबूरन सड़क पर उतरेंगे।
धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों ने ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन पर जाई’ चौपाई भी पढ़ी। प्रदर्शन में पहुंचे अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पांडे ने कहा – 2019 में जब शिवराज सिंह चौहान जी विपक्ष में थे, तब हमारे प्रदर्शन में आए थे। उन्हेांने तब कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है। हम टाइगर का इंतजार कर रहे हैं कि टाइगर आए और हमारा भविष्य सुरक्षित करे। पांडे ने कहा कि उस वक्त शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन सीएम कमलनाथ को हमारी तरफ से मांगपत्र भी सैंपा था, लेकिन सरकार में आने के बाद वे अपना वादा भूल गए।
#भोपाल : नीलम पार्क में महाविद्यालयीन #अतिथि_विद्वानों ने नियमितीकरण एवं अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए #शिवराज सरकार से लगाई गुहार#PeoplesUpdate @OfficeofSSC @ChouhanShivraj @vdsharmabjp #MadhyaPradesh @BJP4India
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आज वे वादा भूल गए
BJP अक्सर कहती रही है कि ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ लेकिन आज वे अपना वादा भूलते नजर आ रहे हैं। उन्होंने हर वर्ग को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन अतिथि विद्वानों को कुछ नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अगर हमारा नियमितीकरण नहीं होता तो अगले महीने हम फिर भोपाल में आकर डेरा डाल देंगे।
सड़क पर उतरना पड़ा तो उतरेंगे
मोर्चा के संयोजक, डॉ. देवराज सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने 16 दिसंबर 2019 को शाहजानी पार्क में आकर अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की बात करते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार से इसकी मांग की थी। आज वे स्वयं मुख्यमंत्री हैं। हम उन्हें उनका ही वादा याद दिलाने के लिए सांकेतिक धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे 322 साथी व्यवस्था से बाहर हैं। मुख्यमंत्री जी हमारे इन साथियों को तुरंत व्यवस्था में लें। हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो हम आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। हमें सड़कों पर उतरना पड़ा तो भी करेंगे।
प्रदेश में 4,425 अतिथि विद्वान
मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के तहत मप्र में लगभग 528 शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं। इन सरकारी महाविद्यालयों में खाली पदों के विरुद्ध अलग-अलग विषयों के लगभग 4,425 अतिथि विद्वान कार्यरत हैं। इसके अलावा लगभग 350 अतिथि विद्वान फालन आउट हैं। यह रिक्त पदों पर पिछले कई वर्षों से शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक कार्य के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इइनमें से अधिकांश अतिथि विद्वान नई शिक्षा नीति के अनुसार अपनी UGC की सभी अनिवार्य योग्यताओं को पूरा करते हैं। वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग में लगभग 5,851 पद खाली हैं। अतिथि विद्वान उम्रदराज हो रहे हैं, लेकिन इन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है।
सरकार के सामने रखीं ये मांगें
1- कार्यरत / फालन आउट अतिथि विद्वान जो यूजीसी की निर्धारित योग्यता और नई शिक्षा नीति के अनुसार शैक्षणिक अर्हता पूरी करते हैं, उन्हें उच्च शिक्षा विभाग में रिक्त पदों पर स्थाई आदेश जारी करके नियमित किया जाए।
2- ऐसे अतिथि विद्वान जो यूजीसी और नई शिक्षा नीति के अनुसार शैक्षणिक अर्हताओं को पूरी नहीं करते हैं, उन्हें भी संविदा पद रखा जाए और यूजीसी की अर्हता पूरी करने के लिए 4 साल का समय दें। अर्हता पूरी करने के बाद इन्हें नियमित किया जाए।
3- अंतिम विकल्प के रूप में कार्यरत / फालन आउट अतिथि विद्वानों को एक निश्चित मानदेय मूल वेतन (57,700/-) पर 65 वर्ष की आयु तक दिया जाए। रिक्त पदों पर अतिथि विद्वान/क्रीड़ाधिकारी / ग्रंथपाल के नियमितिकरण संबंधी प्रस्तावित समिति बनाई जाए।
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