
मप्र उर्दू अकादमी द्वारा चार लफ्जों में कहे क्यूं कर फसाना राम का के अंतर्गत उर्दू शेर-ओ-अदब में मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर आधारित व्याख्यान, महफिल-ए-कव्वाली एवं काव्यांजलि का आयोजन शुक्रवार को किया गया। जनजातीय संग्रहालय में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. अब्बास रजा नैयर, लखनऊ ने कहा कि कम से कम 82 गीता और 132 रामायण उर्दू में मौजूद हैं। अली जव्वाद जैदी ने तो उनकी संख्या अपने प्रोजेक्ट में 300 तक बताई है।
शंकर दयाल फरहत, बांके लाल बिहारी, सूरज नारायण मेहर, द्वारका प्रकाश उफुक, नफीस खलीली, बनवारी लाल शोला, शिव प्रसाद, मुन्शी राम सहाय तमन्ना और मेहदी नजमी जैसे बुजुर्गों की रामायण उर्दू में पढ़ी जाती रहीं हैं। उर्दू के शायर नजीर अकबराबादी से लेकर नजीर बनारसी तक सभी ने राम पर नज्में लिखी हैं। डॉ. मेहताब आलम ने कहा कि राम और राम कथाएं मोहब्बत का पाठ पढ़ाती है। रामायण आपसी भाइचारे का संदेश देती है और नफरत से दूर करती हैं।
उर्दू शायरों ने रामजी पर खूब लिखा है
डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि लखनऊ के मिर्जा हसन नासिर, अब्दुल रशीद खान, नसीर बनारसी दीन ने राम पर लिखा है। यदि और पीछे चले जाएं तो फरीद, रसखान, रहीम, आलम रसलीन, हमीद्दुदीन नागोरी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, नजीर अकबराबादी आदि ने राम के चरित्र को अपने काव्य में आदर्श मानते हुए उनपर लिखा है। इस मौके पर वेद पंड्या ने पंडित बृज नारायण चकबस्त द्वारा रचित नज्म रामायण पर सांगीतिक प्रस्तुति दी।