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क्या CAA पर लगेगी रोक? 230 से ज्यादा याचिकाओं पर SC में सुनवाई आज, 11 मार्च को जारी हुआ था कानून का नोटिफिकेशन

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज (19 मार्च) नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। सीएए के खिलाफ 237 याचिकाएं दायर की गई हैं। दायर याचिकाओं में से 4 में कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। सीएए को भारत की संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था। केंद्र सरकार ने CAA लागू होने का नोटिफिकेशन 11 मार्च 2024 को जारी किया था। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर भी याचिकाएं दायर की गई हैं।

CAA समानता के अधिकार के खिलाफ : ओवैसी

ओवैसी का तर्क है कि 4 साल पहले मोदी सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून संविधान के खिलाफ है। आप धर्म के आधार पर कानून नहीं बना सकते। इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं।

CAA के खिलाफ कौन-कौन पहुंचा SC ?

सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ करीब 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस के नेता देवब्रत सैकिया और असम की संस्था AJYCP की तरफ से दाखिल की गई याचिकाएं शामिल हैं।

CAA को लेकर क्या है आपत्ति?

  • कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। तर्क दिया गया है कि, यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन करता है।
  • इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में सीएए लागू करने की अधिसूचना पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है।
  • याचिका में कहा गया है कि, साढ़े चार साल तक इसे लागू नहीं किया गया, लेकिन अब इसे अधिसूचित करना इस पर सवाल उठाता है। साथ ही इसमें कहा गया है कि सीएए में धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन करता है।
  • ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा है कि, सीएए लागू करने के पीछे सरकार का असली मकसद एनआरसी के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है, जिसे 2019 में अपडेट किया गया था।

क्या है CAA ?

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीडऩ का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है। इसी वजह से इस कानून का विरोध हो रहा है।

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