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Supreme Court ने कहा- कॉलेजियम बहु सदस्यीय है, इसके संभावित फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर 2018 को हुई कॉलेजियम की बैठक की जानकारी का सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत खुलासा करने का अनुरोध करने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि बहु सदस्यीय निकाय के संभावित फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

सदस्यों का निर्णय ही अंतिम फैसला मना जाएगा

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि कॉलेजियम के सभी सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय को ही अंतिम फैसला कहा जा सकता है। पीठ ने कहा- सदस्यों के बीच हुई चर्चा और परामर्श पर तैयार किए गए संभावित प्रस्तावों को तब तक अंतिम नहीं कहा जा सकता जब तक कि उन पर सभी सदस्यों के साइन नहीं हो जाएं। बेंच ने कहा- कॉलेजियम कई सदस्यों वाला एक निकाय है, जिसका संभावित निर्णय सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। हम मीडिया की खबरों और कॉलेजियम के एक पूर्व सदस्य के इंटरव्यू पर भरोसा नहीं कर सकते और पूर्व न्यायाधीश के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।

10 जनवरी 2019 को पारित किया था प्रस्ताव

कॉलेजियम ने 10 जनवरी 2019 को पारित एक प्रस्ताव में उल्लेख किया था कि 12 दिसंबर 2018 को हुई बैठक में कुछ नामों पर महज परामर्श हुआ। हालांकि, इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया। जस्टिस एमबी लोकुर के रिटायर हो जाने के कारण इस कॉलेजियम के सदस्यों में बदलाव हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

भारद्वाज ने 12 दिसंबर 2018 को हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक के एजेंडे का खुलासा करने संबंधी उनकी याचिका हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत का रुख किया था। न्यायमूर्ति एमबी लोकुर पहले इस कॉलेजियम के सदस्य थे, लेकिन उनके रिटायर होने के कारण कॉलेजियम का समीकरण बदल गया था। कॉलेजियम की उस बैठक में कुछ न्यायाधीशों के प्रमोशन के फैसले हुए थे।

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