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Eldest Daughter Syndrome : आखिर क्यों “बड़ी बेटी” होना बढ़ा देता है टेंशन, क्या ये वाकई मानसिक बीमारी है..! जानिए सच…

हेल्थ डेस्क। इन दिनों ये शब्द किसी के लिए अनजाना नहीं है। जाने-अनजाने इस तरह की समस्याएं हर घर में देखने को मिल रही हैं। Eldest Daughter Syndrome (सबसे बड़ी बेटी सिंड्रोम) शब्द का दायरा परिवार में सबसे बड़ी बेटी द्वारा महसूस किए जाने वाले दबाव और जिम्मेदारी से जुड़ा है। हालांकि, यह कोई आधिकारिक तौर पर मान्य मनोवैज्ञानिक विकार नहीं है, लेकिन कई परिवारों में बड़ी बेटियां इसके लक्षणों का अनुभव करती हैं। जिसके बारे के परिवार की बड़ी बेटियां इन निम्नलिखित लक्षणों को महसूस करती हैं।

लक्षण

Eldest Daughter Syndrome अक्सर परिवार, खासकर भाई-बहनों की देखभाल करने, घर के कामों की जिम्मेदारी और पारिवारिक संघर्षों में मध्यस्थता करने की ऐसी  जिम्मेदारी से शुरू होता है, जो अनकही होती हैं। बड़ी बेटियां को अक्सर आदर्शवादी माना जाता है, जो शिक्षा और करियर से लेकर रिश्तों तक हर चीज में परफेक्ट होना चाहती हैं। वे गलती करने से डरती हैं और बाहरी लोगों, खासकर माता-पिता से मान्यता प्राप्त करना चाहती हैं।

रिश्तों पर असर

Eldest Daughter Syndrome रिश्तों को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। बड़ी बेटियां अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कई बार असहज महसूस करती हैं और उन्हें कमजोरी का संकेत मानती हैं। वे सब कुछ नियंत्रित करना चाहती हैं और किसी परिजन या साथी पर भरोसा करने में कठिनाई महसूस करती हैं।

आर्ट – नील शेखर हाड़ा

क्या यह बीमारी है ?

Eldest Daughter Syndrome को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त मनोवैज्ञानिक विकार नहीं माना जाता है। हालांकि, यह निश्चित रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

कारण

  • सामाजिक अपेक्षाएं: समाज में बड़ी बेटियों से अक्सर दूसरों की देखभाल करने और परिवार के लिए बलिदान देने की अपेक्षा की जाती है।
  • फैमिली मोबिलिटी: कुछ परिवारों में, बड़ी बेटियों को माता-पिता के लिए भावनात्मक सहारा बनने की भूमिका निभानी पड़ती है।
  • व्यक्तिगत स्वभाव: कुछ बेटियां स्वाभाविक रूप से ही जिम्मेदार और परिपक्व होती हैं, जिसके कारण उन्हें Eldest Daughter Syndrome का अनुभव हो सकता है।

क्या करें ?

यदि आप इस सिंड्रोम से जूझ रही हैं, तो आप निम्न उपाय अपना सकती हैं-

  • अपनी भावनाओं को स्वीकार करें और उन्हें व्यक्त करने से न डरें।
  • दूसरों से मदद मांगने में संकोच न करें।
  • अपनी गलतियों से सीखें और खुद को माफ करना सीखें।
  • अपनी सीमाओं को निर्धारित करें और “ना” कहना सीखें।
  • एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, जिसमें पर्याप्त नींद, व्यायाम और स्वस्थ भोजन शामिल हो।

पॉजिटिव एप्रोच से ही मिलेगी डिप्रेशन से निजात

समाज में बढ़ रहे इस तरह के मामलों को लेकर भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आर एन साहू का कहना है कि यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिसका इलाज किया जाए। डॉ. साहू जानी-मानी सिंगर और भारत रत्न दिवंगत लता मंगेशकर का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि उन्होंने भी अपने परिवार की बड़ी बेटी होने के दायित्व को पूरी शिद्दत के साथ निभाया। डॉ. साहू के मुताबिक Eldest Daughter Syndrome से निजात पाने का एकमात्र उपाय पॉजिटिव एप्रोच और माइंडसेट है। अगर परिवार की बड़ी बेटी तनाव लेने के बजाय यह समझेगी कि बेटी होना बड़ी बात है और जिम्मेदारी मिलना उससे भी बड़ी बात तो ऐसे में वह कठिन से कठिन स्थितियों को ज्यादा आसानी से हैंडल कर पाएगी। डॉ. साहू के मुताबिक, हालांकि इस सिंड्रोम में कई बार बेटियां डिप्रेशन में चली जाती हैं, लेकिन अगर वे किसी जवाबदेही को बोझ के बजाय अचीवमेंट मानने लगेंगी तो ये समस्या ही खत्म हो जाएगी।

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