मध्य प्रदेश

MP पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, राज्य निर्वाचन आयोग को लगाई फटकार

मप्र में पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया समेत अन्य प्रक्रिया का पालन नहीं करने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र पंचायत चुनाव पर स्‍टे लगा दिया है। इस मामले पर 27 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र राज्‍य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। वहीं निर्देश को न मानने पर पंचायत चुनाव रद भी किए जा सकते हैं।

राज्य सरकार से मांगा जवाब

भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाड़ा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने पक्ष रखा। आज दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई। लगभग आधे घंटे चले इस सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई है। महाराष्ट्र चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी मामले में आग से मत खेलो आबीसी सीटों के आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट में 16 दिसंबर को लगाया था प्रकरण

बता दें कि, मप्र हाईकोर्ट में याचिका पर अर्जेंट हियरिंग नहीं होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की है। याचिकाकर्ताओं के साथ ही मप्र सरकार समेत अन्य पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया है। सुप्रीम कोर्ट 16 दिसंबर को स्पष्ट कर चुका है कि एमपी में होने वाला त्रिस्तरीय पंचाय चुनाव आदेश के अधीन होगा।

पंचायत चुनाव पर रोक लागने की मांग

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को याचिकाकर्ताओं ने जबलपुर हाईकोर्ट में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के रोटेशन समेत अन्य प्रक्रियाओं में नियमों का पालन नहीं करने का मामला उठाते हुए चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीट से अर्जेंट हियरिंग की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए तीन जनवरी अगली तारीख तय कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। यहां याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई तय की है।

कोर्ट में चुनाव की वैधानिकता को दी चुनौती

बता दें कि भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल समेत पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में बताया कि राज्य सरकार ने साल 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है, जो असंवैधानिक है। साल 2019 में राज्य सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नए सिरे से आरक्षण लागू किया था। बिना इस अध्यादेश को समाप्त किए, दूसरा अध्यादेश लाकर 2022 का पंचायत चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार पर कराने का निर्णय लिया गया है, जो असंवैधानिक है।

महाराष्ट्र की तर्ज पर की जाए सुनवाई

दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा तर्क दे चुके हैं कि महाराष्ट्र में आरक्षण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना निरस्त करते हुए फिर से अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है। इसी तरह मप्र में भी किया जा सकता है। मप्र में भी आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया जो असंवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा भी साफ कर चुके हैं कि ये संविधान की धारा 243 सी और डी का साफ उल्लंघन है।

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