
प्रयागराज। मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात प्रयागराज के संगम तट पर भगदड़ मच गई। हादसा लगभग 1:30 बजे हुआ, जब मौनी अमावस्या के पावन स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस भगदड़ में अब तक 10 लोगों के मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि 50 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए हैं।
हालांकि, अभी तक प्रशासन की ओर से आधिकारिक रूप से मौतों की पुष्टि नहीं की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इस घटना पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो घंटे में तीन बार बात कर स्थिति का जायजा लिया और तत्काल राहत कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
कैसे हुआ हादसा?
मौनी अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व होता है, जिस कारण संगम तट पर लाखों की भीड़ उमड़ी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक भीड़ का दबाव बढ़ गया और श्रद्धालु असंतुलित होकर गिरने लगे। इसी दौरान अफरा-तफरी मच गई, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन तब तक कई लोग कुचल चुके थे। बचाव कार्य अभी भी जारी है और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
सीएम योगी की अपील, कहा- जहां हैं, वहीं करें स्नान
हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “मां गंगा के जिस घाट के आप समीप हैं, वहीं स्नान करें, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें। आप सभी प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।”
कुंभ मेले में भगदड़ का इतिहास
कुंभ मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। इससे पहले भी कई बार भगदड़ जैसी दर्दनाक घटनाएं हो चुकी हैं।
- प्रयागराज कुंभ (1954) : पहली बार स्वतंत्र भारत में प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित हुआ। 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची। इस हादसे में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। यह कुंभ के इतिहास की सबसे बड़ी भगदड़ की घटना है।
- हरिद्वार कुंभ (1986) : 14 अप्रैल 1986 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के हरिद्वार पहुंचने के कारण आम श्रद्धालुओं को रोका गया। इससे भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब इसके कारण 200 लोगों की मौत हुई थी।
- नासिक कुंभ (2003) : क्राउड मैनेजमेंट सुधार के बावजूद 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ हुई। इस हादसे में 39 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
- हरिद्वार कुंभ (2010) : 14 अप्रैल 2010 को शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प हो गई। इसके बाद भगदड़ मच गई, जिसमें 7 लोगों की मौत और 15 घायल हुए।
- प्रयागराज कुंभ (2013) : इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के फुटब्रिज पर रेलिंग टूटने से भगदड़ मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने से स्थिति और बिगड़ गई। 42 श्रद्धालुओं की मौत हुई, जिनमें 29 महिलाएं, 12 पुरुष और 1 बच्ची शामिल थी।
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