
खरगोन। निमाड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा पंचतत्व में विलीन हो गए। बाबा का अंतिम संस्कार कसरावद के तेली भट्यान गांव में नर्मदा नदी के किनारे संपन्न हुआ। साधु-संतों ने विधिवत उन्हें मुखाग्नि दी। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु श्रद्धालुओं ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। सीएम डॉ. मोहन यादव भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। इससे पहले बाबा की उनके आश्रम से नर्मदा घाट तक अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने जय सियाराम के नारे लगाए।

आश्रम से नर्मदा घाट तक निकाली अंतिम यात्रा
संत सियाराम बाबा को सुसज्जित डोले में विराजित कर अंतिम यात्रा निकाली गई। उन्हें हनुमान मंदिर के पास से ले जाया गया। इस दौरान भक्तों ने जय जय सियाराम के जयकारे लगाए। बाबा का हनुमान मंदिर से नीचे की तरफ नर्मदा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।

सीएम ने आश्रम में अर्पित की पुष्पांजलि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दोपहर 3 बजे भट्ट्यान आश्रम पहुंचे, उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की। सीएम ने कहा कि बाबा की समाधि व क्षेत्र को पवित्र क्षेत्र और पर्यटन स्थल बनाया जाएगा। यहां के विकास के लिए कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी मौजूद रहे, उन्होंने भी बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
आश्रम में ली अंतिम सांस
बता दें कि प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का 110 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बाबा ने बुधवार को मोक्षदा एकादशी पर सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली। खरगोन जिले के पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा ने बताया कि सियाराम बाबा ने भट्टयान गांव में अपने आश्रम में बुधवार सुबह करीब 6:10 बजे अंतिम सांस ली। संत के निधन पर विभिन्न क्षेत्रों से शोक संवेदनाएं व्यक्त की गईं। मध्यप्रदेश के डॉ. मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने निमाड़ क्षेत्र में पूज्यनीय हिंदू संत के निधन पर दुख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने बाबा के आश्रम का दौरा किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने संत के निधन को समाज और संत समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
भगवान हनुमान के परम भक्त थे बाबा
भगवान हनुमान के एक समर्पित अनुयायी सियाराम बाबा भक्तों से केवल 10 रुपये का दान स्वीकार करते थे तथा एकत्रित धन का उपयोग नर्मदा घाटों के जीर्णोद्धार और धार्मिक संस्थानों व मंदिरों के विकास के लिए किया गया। बाबा अपने गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव और रामचरितमानस के निरंतर पाठ के लिए जाने जाते थे। सादगी भरी जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले बाबा अपना खाना अपने आप बनाते थे और अपने दैनिक कार्य खुद ही करते थे।
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