राष्ट्रीयव्यापार जगत

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का निधन, मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर डिवाइडर से टकराई कार, दो की मौत

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और बिजनेसमैन साइरस मिस्त्री का आज कार दुर्घटना में निधन हो गया है। मुंबई से सटे पालघर में कासा के पास मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर ये हादसा हुआ। कार रोड डिवाइडर से टकरा गई थी। कार में कुल चार लोग सवार थे। हादसे में मिस्त्री समेत 2 लोगों की मौत हुई है। दुर्घटना के बाद मिस्त्री को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, मिस्त्री जिस कार में सवार थे, उसका नंबर एमएच-47-एबी-6705 है। एक्सीडेंट दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अहमदाबाद से मुंबई के रास्ते में सूर्या नदी पुल पर हुआ। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि बाकी दो लोग घायल हो गए।

टाटा सन्स में 18.4% की हिस्सेदारी

साल 2006 में पालोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे साइरस मिस्त्री टाटा संस के साथ जुड़े थे। दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने टाटा सन्स के चैयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया। मिस्त्री टाटा सन्स के सबसे युवा चेयरमैन थे। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4% की हिस्सेदारी है। वो टाटा ट्रस्ट के बाद टाटा सन्स में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स हैं। टाटा के 150 साल से भी ज्यादा समय के इतिहास में साइरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे।

मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर डिवाइडर से टकराई कार।

4 साल बाद पद से हटाए गए थे

सायरस मिस्त्री को चार साल के अंदर ही 24 अक्टूबर, 2016 को टाटा सन्स ने उन्हें चेयरमैन पद से हटा दिया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए थे। इस विवाद को लेकर टाटा सन्स का कहना था कि मिस्त्री के कामकाज का तरीका टाटा सन्स के काम करने के तरीके से मेल नहीं खा रहा था। इसी वजह से बोर्ड के सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था।

पलोनजी शापूरजी मिस्‍त्री के बेटे थे।

54 वर्षीय साइरस मिस्‍त्री भारतीय मूल के सबसे सफल और ताकतवर कारोबारियों में से एक पलोनजी शापूरजी मिस्‍त्री के बेटे थे। साइरस मिस्‍त्री का जन्म आयरलैंड में हुआ था। उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की थी। साइरस ने परिवार के पलोनजी ग्रुप में 1991 में काम करना शुरू किया था।

साइरस मिस्त्री ने 1991 में अपना फैमिली बिजनेस जॉइन किया था। उन्हें 1994 में शापूरजी पालोनजी ग्रुप का डायरेक्टर नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में कंपनी ने भारत का सबसे ऊंचा रेसिडेंशियल टावर, सबसे लंबा रेलवे पुल और सबसे बड़े पोर्ट का निर्माण किया। पालोनजी ग्रुप का कारोबार कपड़े से लेकर रियल एस्टेट, हॉस्पिटेलिटी और बिजनेस ऑटोमेशन तक फैला हुआ है।

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