
बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने गुरुवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं करके आम आदमी को बड़ी राहत दी है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को स्थिर रखने का ऐलान किया है यानी ब्याज दर 6.50% बनी रहेगी। इससे पहले RBI ने रेपो रेट में लगातार 6 बार इजाफा किया था। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने बहुमत के साथ ये फैसला लिया है।
6 बार में इतना बढ़ा रेपो रेट
मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है।
- अप्रैल 2022 में हुई मीटिंग में RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था। लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।
- 6 से 8 जून 2022 को हुई मीटिंग में रेपो रेट को 0.50% बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया।
- अगस्त 2022 में इसे 0.50% बढ़ाया गया जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई।
- सितंबर 2022 में रेपो रेट को 0.50%बढ़ाकर 5.90% कर दिया गया।
- दिसंबर 2022 में हुई मीटिंग के बाद ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गई।
- वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।
देश की जीडीपी को लेकर RBI का अनुमान
वित्त वर्ष 2024 के लिए RBI ने GDP का अनुमान 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2024 की सभी तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान –
- वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी
- वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में ग्रोथ रेट 6.2 फीसदी
- वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ रेट 6.1 फीसदी
- वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में ग्रोथ रेट 5.9 फीसदी
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ?
जानकारी के मुताबिक, रेपो रेट वे दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। बता दें कि रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है। रिवर्स रेपो रेट वे दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है।
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