जबलपुरमध्य प्रदेश

Katni News : सुविधाएं बढ़ीं… चिकित्सकों की कमी, स्टाफ भी नहीं पर्याप्त

कटनी जिला अस्पताल में कई जिलों से इलाज कराने आते हैं मरीज, होती है परेशानी

कटनी। जिला अस्पताल में पिछले वर्षों में सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन उसके हिसाब से चिकित्सक व स्टाफ की पदस्थापना न होने से मरीजों को उपलब्ध सुविधाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। कटनी के साथ आसपास के कई जिलों तक से मरीज कटनी जिला अस्पताल इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं तो टेक्निकल स्टाफ की भी कमी से अस्पताल जूझ रहा है। तृतीय व चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की भी स्वीकृति के हिसाब से पदस्थापना नहीं है।

रोजाना 800 तक मरीज पहुंच रहे जांच कराने

जिला अस्पताल में जिले के अलावा उमरिया, सतना, पन्ना, दमोह जिले के कई गांवों के मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। रोजाना ओपीडी में जांच कराने वालों की संख्या 600 से 800 के बीच होती हैं। इतनी संख्या में पहुंचने वाले मरीजों की ओपीडी में जांच करने के साथ ही उन्हीं चिकित्सकों को जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों की भी रोजाना नियमित जांच करनी होती है और इस कारण से कई बार ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी कतार लगती हैं।

अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 250 बेड की क्षमता है और जल्द ही 150 बेड की क्षमता का विस्तार होने जा रहा है। अस्पताल में 300 से अधिक मरीज भर्ती होते हैं और इस कारण से कई लोगों को गैलरी तक में गद्दे डालकर इलाज किया जा रहा है।

विशेषज्ञों के 37 पद पड़े रिक्त

जिला अस्पताल में मेडिकल स्पेशलिस्ट सहित अन्य विशेषज्ञों के 65 पद स्वीकृत हैं। जिनके एवज में सिर्फ 28 चिकित्सकों की पदस्थापना है। अस्पताल में 37 पद रिक्त पड़े हैं। मेडिकल स्पेशलिस्ट के स्वीकृत 5 पदों में से एक की भी पदस्थापना नहीं है तो शिशु रोग के स्वीकृत 7 पदों में से मात्र दो चिकित्सक ही सेवाएं दे रहे हैं।

पैथोलॉजी विशेषज्ञ के दो पदों में एक भी पदस्थापना नहीं है तो दंत रोग के लिए भी कोई चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। कमी को पूरा करने के लिए संविदा के आधार पर 8 चिकित्सकों की भर्ती की गई है और उनके माध्यम से ही आने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

तृतीय श्रेणी कर्मचारी भी कम

जिला अस्पताल में 350 बिस्तरीय में उन्नयन के आधार पर तृतीय श्रेणी के जितने कर्मचारी पदस्थ होने चाहिए, वह पर्याप्त नहीं हैं। प्रशासकीय अधिकारी, लिपिक, स्टोरकीपर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट सहित अन्य पदों के लिए 81 कर्मचारियों के पद स्वीकृत किए गए हैं और उसमें ट्रामा यूनिट सेंटर भी शामिल हैं। 81 पदों के विरुद्ध अस्पताल में सिर्फ 39 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं और 42 पद आज भी रिक्त पड़े हैं।

नर्सिंग संवर्ग की भी यही स्थिति है। जिला अस्पताल में नर्सिग अधीक्षक, मेट्रिन, नर्सिंग सिस्टर, नर्सिंग ब्रदर, नर्स स्टाफ आदि के 194 पद स्वीकृत हैं और उसमें से वर्तमान में 44 पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिसके चलते नर्सिंग स्टाफ को निर्धारित समय से अधिक तक कार्य करना पड़ता है।

39 की जगह मात्र 5 की पदस्थापना

अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भी पदस्थापना की यही स्थिति है। जिला चिकित्सालय व ट्रामा यूनिट सेंटर के लिए 103 पदों की स्वीकृति है और उसमें से मात्र 20 कर्मचारी काम कर रहे हैं। 83 पद अस्पताल में खाली पड़े हैं। वार्ड ब्वाय के 39 पद स्वीकृत हैं और उसमें से महज 5 लोग ही काम कर रहे हैं तो स्वीपर के स्वीकृत 14 पदों में से मात्र एक स्वीपर की ही पदस्थापना जिला स्तरीय अस्पताल में है।

जिला अस्पताल में कटनी के अलावा सीमा से लगे कई जिलों से मरीज इलाज कराने आते हैं। स्वीकृत स्टाफ की अपेक्षा पदस्थापना कम है और उपलब्ध स्टाफ के माध्यम से ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। स्टाफ की कमी को लेकर समय-समय पर वरिष्ठ कार्यालयों को सूचना भेजी जाती है।

– डॉ. यशवंत वर्मा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल कटनी।

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