
सावन मास की समाप्ति 12 अगस्त को होगी। सावन के प्रत्येक सोमवार पर भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का आखिरी सोमवार 8 अगस्त हो है। इस दिन कुछ शुभ संयोग बन रहे हैं। ये संयोग इस दिन के धार्मिक महत्व को और अधिक बढ़ा रहे हैं। आइए जानते हैं इस दिन कौन से शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत
आखिरी सोमवार को श्रावण यानि सावन की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन संतान के लिए व्रत रखकर भगवान विष्णु से उन्नति, संपन्नता की कामना की जाती है। यानि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु जी की भी पूजा का उत्तम संयोग बना है। धार्मिक मान्यता है कि सावन के चौथे सोमवार का व्रत रखकर शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
नि:संतान दम्पतियों की संतान की कामना पूर्ण होती है। पुत्रदा एकादशी का व्रत वर्ष में दो बार रखा जाता है.प्रथम पुत्रदा एकादशी पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी एवं द्वितीय श्रावण मास की शुक्ल एकादशी ।इस वर्ष श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी सोमवार दिनांक 08अगस्त 2022 को मनाई जाऐगी।ऐसे दम्पत्ति जिन्हें कोई संतान नही है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा एवं आशिर्वाद प्राप्त होता है एवं संतान की प्राप्ति होती है।
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अभिजीत मुहूर्त ?
पौराणिक मान्यता के अनुसार शुभ और मांगलिक कार्यों को करने के लिए अभिजीत मुहूर्त को उत्तम माना गया है। 8 अगस्त 2022 को अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
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आखिरी सोमवार की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध से अभिषेक करें।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)
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