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महिषासुर मर्दिनी और उनाकोटि की रॉक कट प्रतिमा के छायाचित्र देखकर रोमांचित हुए दर्शक

बिड़ला संग्रहालय में शक्ति परंपरा पर छायाचित्रों की प्रदर्शनी 23 अक्टूबर तक देख सकेंगे दर्शक

जीपी बिड़ला संग्रहालय में रविवार को शक्ति परंपरा पर छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। प्रदर्शनी में मुख्य शक्ति पीठ तथा प्रतिमाओं के छायाचित्र 23 अक्टूबर तक दर्शकों के अवलोकन के लिए लगाए गए हैं। प्रदर्शनी में 90 से अधिक छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। इनमें सबसे खास 2 हजार साल पुरानी सीहोर जिले में मिली महिषासुर मर्दिनी और उनाकोटि की रॉक कट प्रतिमा के छायाचित्र दर्शकों को रोमांचित कर रहे हैं। इसके अलावा सेनफ्रांसिस्को की देवी दुर्गा का छायाचित्र, कामाख्या मंदिर छायाचित्र, मप्र के उदयगिरी की दस भुजा दुर्गा प्रतिमा का छायाचित्र, प्राचीन मुद्राओं पर मातृकाए, सिंधु सभ्यता के मुद्रांक पर मातृकाए दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा यहां दर्शकों को दुर्गा शक्ति पीठ की भी महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। प्रदर्शनी में यहां आने वाले दर्शकों का कहना है कि इस प्रदर्शनी के जरिए हमें हमारी विरासत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को देखने का मौका मिला।

2 हजार साल पुरानी महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा

महिषासुर मर्दिनी सीहोर जिले के ग्राम नीन्नौर से लगभग 2 हजार साल पुरानी प्रतिमा 1996-97 के पुरातत्व उत्खनन के दौरान मिली है। यह प्रतिमा वर्तमान में राज्य संग्रहालय भोपाल में रखी हुई है। दुर्गा प्रतिमा चतुर्भुज के रूप में महिषा मर्दन करते हुए दिखाई गई है। दूसरी शताब्दी की इस प्रतिमा को दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है।

उनाकोटि की रॉक कट प्रतिमा

उनाकोटि हिंदू देवी – देवताओं को चित्रित करने वाले अपने विशाल रॉक कट पैनलों के लिए जाना जाता है। उनाकोटि 8वीं और 9वीं शताब्दी से त्रिपुरा में प्राचीन शैव पूजा का प्रमाण प्रदान करता है। उनाकोटि स्थल को लोग शैव पूजा से जुडे एक प्राचीन पवित्र स्थान के रूप में जानते हैं।

धार्मिक स्थानों की मिली जानकारी

इस प्रदर्शनी में हमें हिंदू धर्म के धार्मिक स्थानों की जानकारी मिली। यहां सभी शक्ति पीठ के बारे में फोटो के साथ विस्तार से बताया गया है। प्रदर्शनी में महिषासुर मर्दिनी और उनाकोटि रॉक कट प्रतिमा के बारे में पता चला। -पूर्णिमा सनमौर्य, दर्शक

गुप्त काल तक के दुर्गा जी के छायाचित्र

गहन समर्पण और विशेषज्ञता के साथ तैयार की गई यह अनूठी प्रदर्शनी प्रारंभिक से लेकर गुप्त काल तक देवी दुर्गा के विविध और जटिल अभ्यावेदन को जीवंत करती है। प्रदर्शनी में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को देखा जा सकता है। -डॉ. विभा राठौर, समन्वयक, बीएसएसएस

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