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Rajasthan: अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले विजय दास बाबा का निधन, 80 फीसदी तक जल चुका था शरीर

राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजय बाबा की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है। शुक्रवार देर रात उन्होंने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांस ली। संत विजयदास का बरसाना मान मंदिर में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

80 फीसदी जल चुके थे संत विजयदास

दरअसल, राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन कर रहे थे। 21 जुलाई को बड़ी संख्या में साधु-संत विरोध करने के लिए जुटे। इसी दौरान आंदोलन स्थल पर संत विजय दास (65 साल) ने आत्मदाह कर लिया। पुलिस और अन्य लोगों ने उन्हें फौरन कंबल में लपेट दिया लेकिन तब तक वह 80 फीसदी जल चुके थे। उन्हें आरबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया।

क्या है पूरा मामला

भरतपुर के आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में अवैध खनन के विरोध में पसोपा में साधु-संतों के साथ अन्य ग्रामीण 551 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। 16 जनवरी 2021 से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संत के आत्मदाह के बाद खत्म हुआ। खनन के विरोध में 6 अप्रैल 2021 को साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जयुपर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी।

11 सितंबर 2021 को मान मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की। गांधी ने प्रतिनिधिमंडल से अवैध खनन को लेकर सरकार की ओर से आवश्यक कदम उठाने की बात कही थी। संतों का कहना था कि उन्होंने 100 से भी अधिक सैकड़ों विधायक और मंत्रियों को 350 से ज्यादा ज्ञापन सौंपे पर सुनवाई नहीं हुई।

पर्वतों का है पौराणिक महत्व

जानकारी के मुताबिक, ब्रज भूमि भरतपुर और धौलपुर में कनकाचंदल और आदी ब्रदी पर्वत हैं। सरकार ने इन्हें संरक्षित घोषित कर रखा है, दोनों पर्वत का पौराणिक महत्व है। लेकिन उसके बाद भी पर्वत के कुछ क्षेत्रों में लगातार अवैध खनन जारी है। इसे पूरी तरह से बंद कराने के लिए भरतपुर में पर्वतों के पास ही साधु संतों ने धरना दे रखा है। लगातार बन रहे दबाव के बाद सरकार ने साधु संतों से बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश की।

मुख्यमंत्री ने तुरंत बैठक बुला जारी किए निर्देश

संत के आत्मदाह करने से गहलोत सरकार घिर गई। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खनन, गृह और अन्य विभाग की बैठक ली। भरतपुर कलेक्टर ने सभी संतों को सरकार का आदेश पढ़कर सुनाया, तब जाकर संतों ने धरना स्थल को छोड़ा।

कलेक्टर ने आदेश पढ़कर सुनाया

कलेक्टर आलोक रंजन ने पढ़कर सुनाया कि सरकार ने निर्देश दिए हैं कि 15 दिन में आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र को सीमांकित कर वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी। सरकार आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में संचालित वैध खदानों को अन्य स्थान पर पुनर्वासित करने की योजना बनाएगी। इस पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाने को लेकर भी प्रयास शुरु कर दिए गए हैं। कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि यह समस्त कार्य राज्य सरकार दो महीने में पूरे करेगी।

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नूंह में डीएसपी की डंपर से कुचलकर हत्या

संत विजय दास के धरने ने तब तूल पकड़ा, जब हरियाणा के नूंह में डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की खनन माफियाओं ने डंपर से कुचलकर हत्या कर दी। डीएसपी ने नूंह जिले में चल रहे अवैध खनन को रोकने पहुंचे थे, जहां माफियाओं ने उन्हें मार दिया।

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