नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत मिल गई है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में 4 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया था। अब वह छह महीने बाद जेल से बाहर आ जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। इससे पहले संजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम ने प्रवर्तन निदेशालय से कई सवाल किए थे। संजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने कोई विरोध नहीं किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट बेंच ने उन्हें जमानत दे दी है।
Supreme Court directs to release AAP MP Sanjay Singh on bail during the pendency of trial in a money laundering case relating to excise policy irregularities matter.
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— ANI (@ANI) April 2, 2024
संजय सिंह पर क्या है आरोप
इसी साल जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम जोड़ा था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया था कि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब घोटाले के आरोपी व्यवसायी दिनेश अरोड़ा ने उनके आवास पर मुलाकात की थी। इस बैठक में संजय सिंह भी मौजूद थे।
दिनेश अरोड़ा ने ईडी के सामने बयान दिया था। जिसके मुताबिक, वह एक कार्यक्रम में सबसे पहले संजय सिंह से मिला था। इसके बाद मनीष सिसोदिया के संपर्क में आया था। बताया जा रहा है कि, यह दिल्ली चुनाव से पहले AAP नेता द्वारा आयोजित एक फंड जुटाने का कार्यक्रम था। ED की चार्जशीट में संजय सिंह पर 82 लाख रुपए का चंदा लेने का जिक्र है।
मई में करीबियों के घर हुई थी छापेमारी
इसी साल 24 मई को ईडी ने संजय सिंह के करीबियों के घर भी छापेमारी की थी। वहीं ED की छापेमारी पर उनके पिता का कहना है, विभाग अपना काम कर रहा है, हम उनका सहयोग करेंगे। मैं उस समय का इंतजार करूंगा जब उनको क्लियरेंस मिल जाएगी। मणिपुर पर कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि संजय सिंह पर हो रही है। ये बदले की कार्रवाई नहीं है तो क्या है। बता दें कि, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी शराब नीति में घोटाले के मामले में गिरफ्तार हुए हैं।
संजय सिंह ने अपने घर किया ED का स्वागत
AAP सरकार पर लगे हैं ये आरोप
केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। आरोप है कि दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति में शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी।
हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस आरोप को खारिज किया था। यह नीति बाद में वापस ले ली गई थी। सीबीआई के एक प्रवक्ता ने 17 अगस्त 2022 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कहा था कि यह आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, अनुमोदन के बिना एल-1 लाइसेंस का विस्तार आदि सहित अनियमितताएं की गईं।
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