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Marburg Virus Desease : अफ्रीका में फैला खतरनाक ‘ब्लीडिंग आई’ वायरस, मारबर्ग से अब तक 15 की मौत

अफ्रीका के कई इलाकों में मारबर्ग वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे संक्रमित मरीजों की आंखें खून जैसी लाल हो जाती हैं। मारबर्ग वायरस की वजह से लोगों की आंख से खून भी निकलने लगता है, जिसकी वजह से इसे ब्लीडिंग आई वायरस भी कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस बीमारी में मृत्यु दर 50% से 80% तक हो सकती है। आइए जानते हैं, इस वायरस से जुड़ी जरूरी बातें…

क्या है मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस एक दुर्लभ और घातक वायरस है, जो इबोला वायरस की तरह ही काम करता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फैला है। संक्रमित व्यक्ति में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, और आंतरिक रक्तस्राव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में यह बीमारी 8-9 दिनों में मौत का कारण बन सकती है।

क्या है मारबर्ग वायरस के लक्षण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मारबर्ग वायरस के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश और उल्टी, इंटरनल ब्लीडिंग और ऑर्गन फेलियर, आंखों, नाक और मुंह से रक्तस्राव और मानसिक भ्रम और वजन में गिरावट शामिल हैं। इसके साथ ही यह वायरस ब्लड प्रेशर कम करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। कई मामलों में सेप्टिक शॉक और पेरिटोनाइटिस जैसे जटिल प्रभाव भी देखे गए हैं।

रवांडा में बढ़े मामलों की स्थिति

पूर्वी अफ्रीकी देश रवांडा में मारबर्ग वायरस के 66 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से 15 लोगों की मौत हो चुकी है। पहले आए मामलों में मृत्यु दर 24% से 88% तक रही है। इस वायरस के संक्रमण और प्रभाव को देखते हुए इसे गंभीर माना जा रहा है।

क्या है इसका इलाज

मारबर्ग वायरस का फिलहाल कोई सटीक इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है, जिसमें ब्लड प्रोडक्ट्स, इम्यून थैरेपी और सपोर्टिव केयर शामिल हैं।

इससे बचने के लिए क्या करें

इससे बचाव को लेकर सबसे जरूरी है, संक्रमित इलाकों की यात्रा से बचें। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का इस्तेमाल करें। बार-बार हाथ धोएं और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में न आएं।

क्या है मारबर्ग वायरस को पता करने का टेस्ट

मारबर्ग वायरस का पता लगाने के लिए पीसीआर टेस्ट, आईजीएम-कैप्चर एलिसा, एंटीजन-कैप्चर एलिसा टेस्ट टेस्ट किए जाते हैं।

मारबर्ग वायरस से बचने के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है। अफ्रीका के प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें और फ्लू जैसे लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

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