
भोपाल। राज्य सरकार के निर्देश हैं कि किसी अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच पांच माह में पूरी कर ली जाए और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई हो। लेकिन, प्रदेश में कई प्रकरण डीई स्तर तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं और अधिकारी प्रमोशन पा रहे हैं। लापरवाही की बानगी इस बात से पता चलती है कि उज्जैन में पदस्थ रहते आबकारी अधिकारी प्रमोद झा के खिलाफ लाइसेंस फीस के नाम पर 4.50 करोड़ रुपए के गबन के आरोप लगे थे पर दस साल में विभागीय जांच प्रारंभ नहीं हुई है।
इस मामले में लोकायुक्त ने भी प्रकरण दर्ज किया है। कई साल बाद बाद अंन्तत: आयुक्त आबकारी ने 20 सितंबर 2023 को झा के खिलाफ जांच प्रतिवेदन भेजा। अब शासन में फाइल अटकी है। इधर, कार्रवाई में देर होने से झा सहायक आयुक्त आबकारी से उपायुक्त आबकारी पद पर पदोन्नत होकर सात साल से ज्यादा समय से पदस्थ हैं। उन्हें अगला वेतनमान भी मिल गया है।
इनकी पोस्टिंग भी चर्चा में
- गबन तथा फर्जी एफडी मामले में फंसे उपायुक्त संजय तिवारी और राजनारायण सोनी सहायक आबकारी उज्जैन के प्रभारी हैं।
- लोकायुक्त की कार्रवाई में करोड़ों रुपए की मिली प्रॉपर्टी मामले में आरोपी आलोक खरे उपायुक्त रीवा हैं।
- सहायक आयुक्त शैलेश जैन सिवनी रहते 3.75 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए थे। पवन झारिया और रिनी गुप्ता जिला आबकारी अधिकारी भी रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं।
ये है जीएडी का आदेश
जीएडी के फरवरी 2024 में एक बार फिर आदेश में जारी किया था कि विभागीय जांच के प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए। आरोप तय होने के बाद कार्रवाई प्रक्रिया एक वर्ष की समयावधि में तथा लघु शास्ति मामले में अधिकतम 150 दिवस या पांच माह में पूर्ण किया जाना आवश्यक है।
और इधर 72 करोड़ के घोटाले के आरोपी को विभाग की कमान
इंदौर में फर्जी चालानों से 72 करोड़ के शराब घोटाले में शामिल आबकारी अधिकारी संजीव दुबे व अन्य को लेकर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है लेकिन आबकारी मुख्यालय पर घोटाले/जांच के दस्तावेज वाले विभाग की कमान संजीव दुबे के हाथों में दे दी गई है। इस मामले में विभागीय जांचकर्ता अधिकारी स्रेहलता श्रीवास्तव ने घोटाले में शामिल अधिकारियों पर आरोप और 42 करोड़ की हानि सिद्ध होने पर भी वसूली न होने का हवाला दिया था। उन्होंने ठोस कार्रवाई करने की सिफारिश की थी, लेकिन 6 साल से जारी जांच पर कार्रवाई नहीं हुई। ईडी भी मनी लान्ड्रिंग के तहत जांच कर रही है। सीबीआई में दर्ज शिकायत के बाद नई दिल्ली के पालिसी डिवीजन एआईजी कंप्लेंट टीपी सिंह ने सीएस अनुराग जैन को जांच के लिए लिखा है। आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि मुख्यालय भी विभागीय है और वहां किसी न किसी विभाग में काम करने के चलते ही पदस्थ है। इससे जांच पर असर नहीं पड़ता है।
मुझसे नहीं, शासन से पूछिए
संबंधित अधिकारी के बारे में प्रतिवेदन शासन को भेज दिया गया है। क्या कार्रवाई हुई, यह शासन से पूछिए। हमने क्या लिखा, यह याद नहीं। -अभिजीत अग्रवाल, आयुक्त आबकारी