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निकाय सरकार से मांगते हैं अनुदान, पर टेलीकॉम कंपनियों से सालों से नहीं ली लाइसेंस रिन्यू फीस

खुलासा 13 निकायों में 60 लाख रु.से ज्यादा की वसूली नहीं

भोपाल। प्रदेश की अधिकांश नगरीय निकाय सरकार के सामने माली हालत का रोना रोकर अनुदान की मांग करते हैं पर टेलीकॉम कंपनियों से लाइसेंस फीस वसूली को नजर अंदाज कर उन्हें लाखों- करोड़ों का फायदा पहुंचा रहे हैं। मध्य प्रदेश स्थानीय निधि संपरीक्षा के जरिए छिंदवाड़ा नगर निगम सहित 27 निकायों के लेखों की जांच में यह पाया गया कि 13 निकायों में मोबाइल टॉवरों की लाइसेंस रिन्यू फीस 60 लाख रुपए से ज्यादा नहीं ली गई।

इसके अलावा नगर पालिका कटनी, विदिशा सहित अन्य 14 निकायों ने इससे जुड़े दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। इस तरह की गड़बड़ियां वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2020 के बीच में सामने आई हैं। जबकि सरकार ने इस संबंध में निकायों के अधिकार दिए हैं।

सरकार की ये है व्यवस्था

टेलीकॉम कंपनियों को अपने टॉवरों का हर 5 वर्ष में लाइसेंस रिन्यू कराना होता है। अगर रिन्यू नहीं कराते हैं तो निकाय कंपनियों को नोटिस जारी कर उसे हटाने और धरोहर राशि से उस पर पेनल्टी वसूल करता है। निगमों में नवीनीकरण शुल्क 20 हजार रुपए, नगर पालिका में 10 हजार और नगर परिषद में 5 हजार रुपए हैं।

कलेक्ट्रेट-ननि में उलझन

सरकार ने 2012 में टॉवरों के लगाने की अनुमति और रिन्यू की फीस वसूली करने का काम निकायों को सौंपा था। 2020 में यह काम जिला प्रशासन को दे दिया। अब जिला प्रशासन अनुमति तो दे रहा है, लेकिन लाइसेंस फीस नहीं वसूल पा रहा है। कई टेलिकॉम कंपनियां लाइसेंस रिन्यू के लिए आवेदन भी नहीं कर रही हैं।

मेरे पास ज्यादा जानकारी नहीं है

इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है। फाइल देखने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। मोबाइल टॉवर की अनुमति देने और नवीनीकरण करने का काम कलेक्ट्रेट से होता है। इस संबंध में ज्यादा जानकारी जिला प्रशासन के पास होगी। सीपी राय, आयुक्त नगर निगम, छिंदवाड़ा

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