
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फिर एक बार नई उपलब्धि को हासिल किया है। इसरो ने शनिवार को बताया कि उसने क्रायोजेनिक इंजन का वैक्यूम इग्निशन ट्रायल सफलतापूर्वक कर लिया है। इसरो ने कहा कि उसने वैक्यूम परिस्थितियों में ‘मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर’ के साथ एलवीएम3 के ऊपरी चरण को पॉवर देने वाले स्वदेशी सीई20 क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक प्रज्ज्वलन परीक्षण किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक कहा कि यह परीक्षण शुक्रवार को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया।
क्यों अहम है ये परीक्षण?
यह इंजन गगनयान मिशन के लिए अहम है। इसके तहत भारत पहली बार अंतरिक्ष में इंसानों को भेजेगा। अंतरिक्ष में उड़ान के बीच में वैक्यूम परिस्थितियों में क्रायोजेनिक इंजन को दोबारा शुरू करना पेचीदा है, ऐसे हालात में इंजन को दोबारा शुरू करने के लिए इसरो बूटस्ट्रैप मोड में टर्बोपंप के इस्तेमाल करने को लेकर खोज कर रहा है। इसरो उड़ान के दौरान क्रायोजेनिक इंजन को फिर शुरू करने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में बूटस्ट्रैप मोड में इंजन शुरू करने के मकसद से एक के बाद एक परीक्षण कर रहा है।
‘स्पेडेक्स’ में कोई खराबी नहीं, हम आगे बढ़ रहे: इसरो
इसरो के प्रमुख वी नारायणन ने शनिवार को कहा कि इसरो के पहले ‘अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन’ (स्पेडेक्स) में कोई खराबी नहीं है और यह कदम दर कदम आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों की ओर से प्रकाशित खराबी आने संबंधी खबरों को खारिज कर दिया। अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने कहा, कोई खराबी नहीं है, अभी इसे डॉक किया गया है। हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। हम अध्ययन कर रहे हैं और फिर हम कई प्रयोग करने की योजना बना रहे हैं।
इसरो ने 16 जनवरी को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की और अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी घोषणा की कि डॉकिंग के बाद एक ही वस्तु के रूप में दो उपग्रहों का नियंत्रण सफल रहा। इस मिशन के तहत एनवीएस-02 नेविगेशन उपग्रह को इच्छित ‘जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट’ में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था।