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‘भाबीजी घर पर हैं’ की अंगूरी भाभी भोपाल के बिरला मंदिर में मनाने आती थीं ‘Janmashtami’, जानें आपके फेवरेट सीरियल के कलाकार कैसे मनाते हैं कान्हा के जन्म का उत्सव

एंटरटेनमेंट डेस्क। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…! भगवान कृष्ण का जन्मदिन देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी होगा। आइए जानतें हैं आपके फेवरेट सीरियल के कलाकार किस तरह से जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते आए हैं।

शुभांगी अत्रे उर्फ ‘अंगूरी भाभी’ (भाबीजी घर पर हैं)

भाबीजी घर पर हैं, सीरियल की अंगूरी भाभी का मशहूर किरदार निभाने वाली शुभांगी अत्रे को कौन नहीं जानता। शुभांगी अत्रे का जन्म इंदौर में हुआ था। शुभांगी बताती हैं कि, उन्हें जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मटकी फोड़ कार्यक्रम देखना बेहद पसंद है। वे अपने पिता के साथ जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने भोपाल के बिरला मंदिर आती थीं। त्यौहार मनाने के लिए, घर में हम फर्श पर बच्चे के पदचिन्ह बनाते थे, जो बाल कृष्ण के चरणों के प्रतीक होते थे। आरती के लिए हम आधी रात तक जागते थे और घर के बने माखन, मिश्री, लौकी की बर्फी, मखाना, खीर आदि जैसे पकवानों का मजा लेते थे, जिन्हें मेरी मां और दादी बड़े प्यार से बनाती थीं। यह प्रसाद भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता था। त्यौहार की पूरी तैयारी विशुद्ध से प्रसन्नता का वातावरण बनाती थी और इलाके को सकारात्मकता से भर देती थी। मैं एक बार फिर यह दोहराना चाहती हूं और मंदिर आने की चाहत रखती हूं।

गीतांजलि मिश्रा उर्फ ‘राजेश’ (हप्पू की उलटन पलटन)

हप्पू की उलटन पलटन में राजेश का रोल निभा रहीं गीतांजलि मिश्रा जानी मानी अभिनेत्री हैं। गीताजंलि मिश्रा उत्तर प्रदेश से हैं। गीतांजलि बताती हैं कि हमारे यहां जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में इसकी भव्यता देखते ही बनती है। उत्सव मनाने के लिए मैं खुद भौतिक रूप से त्यौहार में हिस्सा लेती थी। त्यौहार मनाने के लिए अनगिनत लोग मथुरा के श्री कृष्ण मंदिर में इकट्ठे होते थे। नए-नए कलाकारों द्वारा कृष्ण की रासलीला की प्रस्तुतियों से शहर जीवंत हो उठता है। कुछ व्यवस्थाएं तो इतनी आकर्षक होती हैं कि भक्त भगवान की भक्ति में पूरी तरह से मग्न हो जाएं। मेरे शहर वाराणसी में भी बेहतरीन उत्सव होता था। मेरी दादी मां विशेष प्रसाद बनाती थीं- मलाई पेड़ा, चरणामृत और धनिया पंजीरी, जिनका भोग भगवान कृष्ण को लगता था। फिर हम घर का बना यह प्रसाद बांटने और भजन गाने के लिए मंदिरों में जाते थे। गीतांजलि आगे बताती हैं कि मैंने एक बार बचपन में अपनी मां से राधा के कपड़ों की मांग भी की थी, जिन्हें पहनकर मैं बहुत खुश हुई।

नेहा जोशी यानी यशोदा (दूसरी मां)

दूसरी मां सीरियल में यशोदा का रोल निभाने वाली नेहा जोशी लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। नेहा जोशी महाराष्ट्र से हैं। नेहा बताती हैं, महाराष्ट्र में जन्माष्टमी का त्यौहार काफी जीवंत तरीके से मनाया जाता है। यहां लोग मानव पिरामिड बनाकर ऊपर लटकी दही हांडी को तोड़ते हैं और बार-बार गिर जाते हैं। दही हांडी में दही, दूध, फल और मिठाइयां होती हैं। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी का पूरा माहौल धमाकेदार और अलौकिक होता है। नासिक में पली-बड़ी होने के कारण मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने इस अनुभव को करीब से देखा। कोने-कोने में लोग दही हांडी इवेंट के लिए इकट्ठे होते थे और जब हम छोटे थे, तब एक पल का नजारा देखने से भी नहीं चूकना चाहते थे। हम लगातार घूमते रहते थे, हर पल को संजोते थे और यह देखने के लिए उत्सुक रहते थे कि आखिरकार हांडी को कौन तोड़ेगा। मंदिर की सजावट और भक्ति संगीत से एक अलग ही तरह का सकारात्मक वातावरण बन जाता था। मेरे लिए सबसे बड़ा आकर्षण था ढोल की थाप पर झूमना और ‘गोविंदा आला रे आला’ गाना। इसके बाद मैं मां के द्वारा बनाई गई पूरन पोली और पारंपरिक घरेलू पकवानों का मजा लेती थी।

आयुध भानुशाली उर्फ कृष्णा (दूसरी मां)

आयुध भानुशाली उर्फ ‘दूसरी मां’ के कृष्णा ने बताया, “मैं गुजरात से हूं, जहां जन्माष्टमी बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है और कई कारणों से इस त्यौहार की मेरे दिल में एक खास जगह है। इस दिन घर पर मेरी माँ और अन्य महिलाएं उपवास रखती हैं, जबकि बच्चे कान्हा जी के आगमन की उम्मीद में हार-फूलों से पालना सजाते हैं। उत्सव की शुरूआत कृष्ण की मूर्ति को दूध और पानी से नहलाकर होती है। मूर्ति को नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं, जिसके बाद आधी रात की आरती और मंगल आरती होती है। भगवान के लिए हमारे प्रसाद में मखाना पाग, खीर, चरणामृत और सूखे मेवों से भरे लड्डू होते हैं। हम नजदीक के कृष्ण मंदिरों में जाकर त्यौहार मनाते हैं। भगवद गीता में भगवान कृष्ण की शिक्षाओं पर आधारित नाटकों समेत सजावट और पार्टियां देखते हैं। गरबा में नाचने से उत्साह मिलता है और मशहूर द्वारकाधीश मंदिर को सबसे शानदार ढंग से सजाया जाता है। मैं कृष्ण बन जाता हूं, जबकि मेरी बहनें गोपियां बन जाती हैं। मैं इस साल अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने के लिये बेहद उत्सुक हूं।

चारूल मलिक उर्फ रूसा (हप्पू की उलटन पलटन)

हप्पू की उलटन पलटन में रूसा का किरदार निभाने वालीं प्रसिद्ध अभिनेत्री चारूल मलिक ने बताया कि चंडीगढ़ में जन्माष्टमी का उत्सव बेहद उल्लास के साथ मनाया जाता है। मंदिरों को सजाया जाता है, प्रार्थनाएं होती हैं और धार्मिक गीतों एवं भजनों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। रासलीला जैसे पारंपरिक नृत्य प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित करते हैं। पूरे शहर में धार्मिक माहौल बन जाता है और लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नहलाया एवं सजाया जाता है और उन्हें स्वादिष्ट मिष्टान अर्पित किए जाते हैं। यह पूजा-पाठ और उल्लास, दोनों का ही समय होता है। हम अपने परिवार वालों के साथ मंदिर जाते हैं, भगवान के आर्शीवाद लेते हैं और इन मंदिरों की विशेष साज-सज्जा को निहारते हैं। चंडीगढ़ में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है और मैं अपने भाई-बहनों के साथ वहां जाने के लिए बेहद उत्साहित रहती थी। यहां पर हम तरह-तरह के पकवानों का लुत्फ उठाते थे और खिलौने खरीद कर लाते थे। यदि मुझे अपने होमटाउन जाने का मौका मिलता है, तो मैं निश्चित रूप से उन पलों को दोबारा जीना चाहती हूं।

सानंद वर्मा उर्फ अनोखे लाल सक्सेना (भाभी जी घर पर हैं)

सानंद वर्मा ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं’ के अनोखे लाल सक्सेना ने बताया कि मेरा परिवार भगवान कृष्ण को बहुत मानता है। मेरी मां ने कान्हा जी को अपने परिवार के एक सदस्य के रूप में अपनाया है और उनका ध्यान उसी तरह से रखा जाता है, जैसे किसी रिश्तेदार का। हालांकि, मैं खुद को एक समर्पित भक्त तो नहीं बता सकता, लेकिन मैं इस त्योहार को मनाता हूं और उसमें भाग लेता हूं, क्योंकि मेरा परिवार भगवान कृष्ण को बहुत मानता है। मेरे होमटाउन पटना में है। इस त्योहार को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहां पर भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाए जाते हैं और उन्हें पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं। उनके लिए एक झूला तैयार किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के पूरे दिन मधुर भजन गाए जाते हैं। मुझे याद है कि बचपन में, इस उत्सव पर मैं काफी खुश रहता था। जन्माष्टमी के लिए आधी रात तक जागने का एक खास रोमांच होता था और पूजा के बाद, हम कृष्ण जी की तरह ही स्वादिष्ट मिठाइयों और माखन का स्वाद चखते थे।

आरजे मोहित उर्फ मनोज (दूसरी मां)

आरजे मोहित ऊर्फ ‘दूसरी मां’ के मनोज का कहना है कि जन्माष्टमी के जश्न के दौरान जयपुर एकदम जीवंत हो उठता है। मंदिरों को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है और अनूठे रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। लोग उपवास रखते हैं, पूजा-प्रार्थनाएं करते हैं और दिल को छू लेने वाले धार्मिक गायन एवं नृत्य में भाग लेते हैं। इस शहर का माहौल देखते ही बनता है और पूरा माहौल विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शनों एवं कार्यक्रमों से दमक उठता है। गोविंद देव जी मंदिर में विशेष कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है और मैं हमेशा ही वहां जाने का मौका ढूंढ़ता रहता हूं और खुद को त्योहारों के इस उल्लास में सराबोर कर लेता हूं।

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