ताजा खबरबजट 2023

बहनों को सम्मान , युवाओं को मान, अधोसंरचना पर ध्यान, गरीबों का उत्थान .. पर पैसा कहां से आएगा…!

मनीष दीक्षित। आजादी के अमृत काल के प्रथम वर्ष में प्रस्तुत ‘नए मध्य प्रदेश’ के बजट में मूलभूत अधोसंरचना  के विकास पर ध्या,न केंद्रिए किए जाने के साथ-साथ किसानों, महिलाओं और युवाओं का खास ख्याल रखा गया है। जाहिर है, चुनावी वर्ष में आनेवाला बजट लोकलुभावन होने की उम्मीद थी। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कोई नया कर नहीं लगाकर और नई घोषणाएं कर इस पर अपनी मुहर लगा दी।

बजट आकार बढ़ने का सीधा मतलब है कि राज्य वित्तीय स्तर पर सशक्त बन रहा है। जनकल्याण से जुड़ी नई योजनाएं शुरू करने की क्षमता भी बढ़ी है। पुरानी योजनाओं की गति में भी सुधार आया है। योजनाओं का आकार बढ़ने का मतलब है, विकास से जुड़े कार्य मसलन सड़क निर्माण, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल समेत मूलभूत जरूरतों पर खास ध्यान देना। अगर योजनाएं सही से चलें, तो आम लोगों को रोजगार और मूलभूत सुविधाएं आसानी से मयस्सर हो सकेंगे।

इस बजट में हर वर्ग और तबके का ध्यान रखा गया तो वहीं प्रदेश में इन्वेस्टर समिट के तहत होने वाले भारी निवेश को दृष्टिगत रखते हुए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट पर भी विशेष फोकस रहा। घोषणाएं पूरी करने में आने वाली वित्तीय लागतों की चिंता किए बगैर राजनीतिक दल मुफ्त की घोषणाएं करने की होड़ में हैं, क्योंकि अधिकांश आबादी इसकी लाभार्थी है, उसे शायद इन स्थितियों से शिकायत नहीं, लेकिन ईमानदार करदाता, जो लाभार्थी नहीं हैं, इससे चिंतित हैं। उन्हें पता है कि सत्ता में रहने की होड़ में हो रही इन घोषणाओं का बोझ अंतत: उन पर ही पड़ेगा।

बजट में जिस तरह की योजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, उससे साफ है कि बजट के जरिए चुनावी फायदे ढूंढ़ने की कोशिश की गई है। 8 सवालों से समझिए, इस बजट का लेखा जोखा…

1-आम आदमी के लिए बजट कैसा है?

हर बार चुनाव के वक्त लोकलुभावन बजट आता है। इस बार के बजट को ‘मनभावन’ कह सकते हैं। लोकलुभावन और मनभावन में सिर्फ इतना अंतर है कि लोकलुभावन ‘इन डायरेक्ट’ (अप्रत्यक्ष रूप से) लाभ दिखता है। मनभावन में डायरेक्ट राहत दिखती है। कोई भी टैक्स नहीं बढ़ना आम आदमी के लिए राहत देने वाला है। हालांकि, जीएसटी आने के बाद राज्य सरकारों के लिए पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाना ही कमाई बढ़ाने का साधन बचा है, लेकिन चुनावी साल में सरकार ये रिस्क नहीं ले सकती।

2.बजट में सबसे ज्यादा किस पर फोकस?

सबसे अधिक फोकस आधी आबादी पर किया गया। किसानों, अधोसंरचना और युवाओं को लेकर भी कुछ न कुछ घोषणाएं की गई हैं। निम्न आय वर्ग को ईडब्लूएस मकान खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी नहीं लेने की घोषणा का सीधा फायदा गरीबों को मिलेगा। कुल मिलाकर हर वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है। भले ही महिला हों, युवा हों, किसान या फिर गरीब।

3 . क्या इससे चुनावी फायदा मिलेगा ?

शिवराज सरकार लाड़ली बहना योजना लेकर आई है। इसका तत्काल फायदा प्रदेश की लगभग 1.25 करोड़ महिलाओं को मिलेगा। इसके अलावा छात्राओं को स्कूटी और डिफॉल्टर किसानों को भी चुनाव के पहले राहत मिल जाएगी। जिसका चुनावी फायदा भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, कांग्रेस भी इसी तरह के दावे करने में पीछे नहीं है।

4 . बजट की सभी घोषणाओं को सरकार बचे कार्यकाल में पूरा कर लेगी?

ये संभव नहीं दिख रहा। खासकर अधोसंरचना के क्षेत्र में! क्योंकि, करीब 9 महीने बाद चुनाव हैं। अगले 7-8 महीनो में आचार संहिता लग जाएगी। हमारा सिस्टम ही ऐसा है कि आधा साल बीतने तक काम नहीं हो सकता। अगला वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद ही टेंडर की प्रक्रिया होगी। उसी दौरान मानसून के चलते भी काम प्रभावित होंगे। यानी, अधिकांश मामलो में चुनाव के पहले शिलान्यास ही हो सकेगा ।

5 . तो क्या इस बजट से कोई फायदा नहीं मिलेगा?

ऐसा नहीं है। यदि बजट को देखें, तो यह कहा जा सकता है कि सरकार इसके प्रचार में कमी नहीं छोड़ेगी। यदि राज्य सरकार इन बजट घोषणाओं को 12 महीने के बजाय 7 या 8 महीने का टारगेट बनाकर लागू कर जनता को लाभ दिला दे, तो जरूर फायदा होगा। योजनाएं समय पर पूरी नहीं होने पर नुकसान हो सकता है।

6 . विपक्ष का आरोप है कि बजट हवा-हवाई है? क्या ये संतुलित है?

विपक्ष के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। अमूमन आखिरी बजट पेश करते समय खर्च का आकार बढ़ जाता है, लेकिन राज्य सरकार अंतिम बजट में यह बताने से भी बचती है कि पैसे की व्यवस्था कहां से होगी ?

7 . अब विपक्ष के पास बहस के लिए क्या मुद्‌दा बचता है?

बजट में घोषणाएं तो की गईं, लेकिन पिछले वर्ष बजट की राशि खर्च नहीं कर पाना और बढ़ते कर्ज के भार को भी विपक्ष मुद्दा बना सकता। इसके अलावा पुरानी पेंशन लागू नहीं करना भी चुनावी मुद्दा बन सकता है।

8 . घोषणाओं के लिए पैसा कहां से आएगा?

अभी तो इसे चुनावी और राजनीतिक बजट कह सकते हैं। बजट में योजनाओं को पूरे करने के प्रावधान रखे गए हैं, लेकिन कई घोषणाएं पूरी करने के लिए या तो सरकार को और कर्ज लेना पड़ेगा या फिर कुछ योजनाओं की राशि दूसरे मदों में ट्रांसफर करनी होगी।

संबंधित खबरें...

Back to top button