राजीव कटारे-ग्वालियर। नर्सिंग काउंसिल की मनमानी की वजह से ग्वालियर अंचल के 130 सहित प्रदेशभर के करीब 300 कॉलेजों की 2024-25 मान्यता अटकी हुई है। इसी की वजह से न केवल कॉलेज संचालक परेशान हो रहे हैं, बल्कि हजारों छात्रों का भविष्य भी अधर में अटका है। कई छात्र दूसरे राज्यों में नर्सिंग कोर्स करने को मजबूर हैं। इसके साथ ही प्रदेशभर में हर साल नए डॉक्टर तो निकल रहे हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ की भी कमी होती जा रही है। मेडिकल यूनिवर्सिटी की इजाजत के बाद भी नर्सिंग काउंसिल भोपाल द्वारा प्रदेशभर के कॉलेजों द्वारा मान्यता के आवेदन किए जाने के बाद भी अभी तक उन्हें मान्यता प्रदान नहीं गई है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की सख्ती के बाद एक साल पहले जहां पूरे प्रदेश में 600 नर्सिंग कॉलेजों ने आवेदन दिया था, इस साल घटकर इसके लिए 50 फीसदी ने ही आवेदन दिया है। हर कॉलेज में बीएससी, जीएनएम सहित अन्य कोर्स की करीब 100 सीट होती हैं।
2023 में नहीं हुए प्रवेश, स्टाफ बन रहा बोझ
नर्सिंग कॉलेज संचालकों से मिली जानकारी के अनुसार 2023 के बाद से कॉलेजों में प्रवेश नहीं हुआ है, क्योंकि मामला कोर्ट में चला गया था, इसके बाद सीबीआई जांच शुरू हो गई थी। ऐसे में जब जांच पूरी हो गई तब कोर्ट के आदेश के बाद परीक्षाएं हो रही हैं तो मान्यता नहीं देने के कारण नए प्रवेश नहीं हो पा रहे हैं। दूसरी ओर स्टाफ व टीचर्स को लगातार सैलरी देनी पड़ रही है।
नर्सिंग काउंसिल 2024-25 की मान्यता नहीं दे रहा है, जबकि जांच के साथ ही फिजिकल वेरिफिकेशन हो चुका है। छात्र एडमिशन लेने आ रहे हैं, लेकिन मान्यता ही नहीं है। ऐसे में कॉलेजोें का संचालन आर्थिक रूप से परेशानी बन गया है। -सुनील राठौर, सदस्य, नर्सिंग काउंसिल
पिछले 4-5 वर्ष से एडमिशन नहीं होने के कारण प्रदेशभर में नर्सिंग स्टाफ की कमी है। इसकी वजह से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी प्रभावित हो रही हैं। कई छात्र दूसरे प्रदेशों में कोर्स करने जा रहे हैं और वहीं पर जॉब कर रहे हैं। इसलिए नर्सिंग कॉलेजों को प्रवेश की मान्यता देनी चाहिए। -विष्णु पांडे, प्रदेश अध्यक्ष नर्सिंग छात्र संगठन
मुझे जीएनएम का कोर्स करना है, लेकिन कॉलेजों को मान्यता ही नहीं हैं। इसलिए मैं अब दूसरे प्रदेश से यह कोर्स करूंगा। हालांकि मध्यप्रदेश की तुलना में दूसरे प्रदेशों में इस कोर्स के 30 से 40 हजार रुपए अधिक लगेंगे, लेकिन मजबूरी में मुझे ऐसा करना पड़ेगा। -मोहन शर्मा, नर्सिंग स्टूडेंट
नर्सिंग स्टाफ नहीं मिलने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं क्योंकि डॉक्टर के साथ मरीज की केयर करने नर्सिंग स्टाफ बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमारे ही अस्पताल को 300 बेड का होना है, डॉक्टर तो है, लेकिन नर्सिंग स्टाफ की कमी है। -डॉ. आलोक पुरोहित, जिला अस्पताल मुरार