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बैंबू फर्नीचर बनाने से लेकर स्ट्राबेरी की फार्मिंग तक में कमाल दिखा रहीं महिलाएं

I am Bhopal. सभी स्तरों पर महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा और हर क्षेत्र में उनकी साझेदारी महिला सशक्तिकरण और समान कार्यबल को बढ़ावा दे रही है। आज भारत में महिलाओं के नेतृत्व में इंडस्ट्रीज आगे बढ़ रही हैं। स्वरोजगार करने से लेकर यह महिलाएं दूसरों को रोजगार देने का जरिया बन रही हैं। आई एम भोपाल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) को लेकर शहर की कुछ ऐसी ही महिला उद्यमियों से बात की और उनका कहना था, हमारा संघर्ष वही है जो एक पुरुष का होता है, महिला होने की वजह से हमारा संघर्ष कुछ अलग होगा ऐसा हम नहीं मानते। यह महिलाएं बैंबू फर्नीचर से लेकर स्ट्राबेरी फॉर्मिंग और पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र झाड़ू फैक्ट्री जैसे काम सालों से बखूबी संभाल रही हैं।

महिलाएं घर से कमा रहीं 8 से 10 हजार रुपएं

साल 1971 में मेरे पति ने झाड़ू का व्यवसाय शुरू किया और फिर जब कारोबार बढ़ने लगता तो मैं भी उनका हाथ बंटाने लगी। बतौर महिला मेरी कोशिश थी कि इस काम से महिलाओं को जोड़ा जाए लेकिन मुश्किल यह थी कि उस समय महिलाएं घर से बाहर आकर काम नहीं कर पाती थीं तो मैंने तय किया कि वे काम की जगह पर न आए बल्कि मैं काम उनके घर तक पहुंचा दूं और इस तरह वे घर बैठे झाड़ू बनाने का काम करने लगीं। मेरे साथ पिछले 40 साल से महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं और देश के 8 राज्यों में हम 100 डिजाइन में 25 तरह की झाड़ू बनाकर सप्लाई करते हैं। मेरे पति ने मुझे रॉ मटेरियल की खरीदी से लेकर व्यवसाय को पूरी तरह से संचालित करने का हुनर दिया और उनके जाने के बाद मैं ही पूरी तरह से इस काम को संभाल रही हूं। नार्थ ईस्ट से खुद जाकर वाइल्ड ग्रास लेती हूं। हम बेसिक से कलात्मक झाड़ू तक बनाते हैं। हमारा टर्नओवर सालाना 3 करोड़ रुपए है और नेहा, मयूर सहित अन्य ब्रांड में झाड़ू बनाते है। कई परिवार एक दिन में100 झाड़ू तक बना लेते हैं, जिससे उन्हें प्रतिमाह उन्हें 8 से 10 हजार रुपए की आमदनी होती है। – चेतना जैन, उद्यमी

500 बैंबू शिल्पियों के साथ काम

मप्र स्टेट बैंबू मिशन के साथ मिलकर काम करती हूं लेकिन शुरुआत आसान नहीं थी क्योंकि पहले मुझे खुद की योग्यता को साबित करना पड़ा। मैंने साल 2018 में 7500 बैंबू प्लांट्स एयरपोर्ट पर सरकार द्वारा निर्धारित जमीन पर लगाए और आज तक उनकी देखरेख कर रही हूं, जिसके बाद मुझे बैंबू के आर्टिस्टिक प्रोड्क्टस को तैयार करवाने की जिम्मेदारी और स्टेट बैंबू मिशन के बंसी स्टोर को संचालित करने का काम मिला। धूप-बारिश हर मौसम में मैंने काम किया ताकि बांस के पौधे जीवित रह सकें। मैंने प्रदेश के 500 बैंबू आर्टिस्ट को अपने साथ जोड़ा लेकिन इस काम में कभी वे मेरी बात समझ पाते तो कभी भाषा की दिक्कत आती। बैंबू के पारंपरिक डिजाइन से हटकर मैंने हर प्रोडक्ट का नया डिजाइन बनाया और फिर कलाकारों को व्हाट्स ऐप से भेजकर उनसे प्रोडक्ट्स बनवाए। परिवार को ज्यादा न समय देने पाने के चलते पहले सोचा कि छोड़ दूं क्योंकि चैलेंज बहुत ज्यादा है लेकिन बच्चों और पति ने काम जारी रखने को कहा। – पूजा निगम, बंसी स्टोर, उद्यमी

भोपाल में उगा रही हूं स्ट्राबेरी

स्ट्राबेरी की खेती अमूमन ठंडी जगहों पर ही होती है क्योंकि यह ठंड में ही ग्रो करती हैं लेकिन हमने भोपाल के मेंडोरी में दो साल पहले स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। हम आर्गेनिक स्ट्राबेरी ग्रो करते हैं ताकि लोगों को इस फ्रूट का पूरा पोषण मिले। आर्गेनिक कंपोस्ट को भी हम खुद ही तैयार करते हैं। अक्टूबर के महीने से लेकर जनवरी तक हमारी 10000 पौधे स्ट्राबेरी ग्रो करते हैं, जो कि इंदौर, भोपाल, अहमदाबाद में सप्लाई होते हैं। इस काम में कठिनाई तो नहीं कहूंगी लेकिन किसान बनकर ही खेत में दूसरे किसानों के साथ काम करना होता है क्योंकि उन्हें इस खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती तो सभी कुछ साथ मिलकर करना होता है। – अद्वितीय शाह, आर्गेनिक फार्मिंग

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