जबलपुरमध्य प्रदेश

भाजपा-कांग्रेस को देश, धर्म की फिक्र नहीं, इन्हें सिर्फ राजनीति करना है : जबलपुर में बोले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

जबलपुर डेस्क। कांग्रेस और भाजपा ऐसे हैं कि एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। इन्हें देश, संस्कृति और धर्म की फिक्र ताे है नहीं। केवल राजनीति करना है। यह बात ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने कही। वह जबलपुर के बेलखाड़ू में 1,008 बच्चों के लिए बन रहे गुरुकुल के शिलान्यास के कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा- तुम्हें राजनीति करनी है तो राजनीति के मामले पर एक दूसरे का विरोध करो। लेकिन, धर्म के नाम पर, संस्कृति के नाम पर, देश की परंपराओं के बारे में बोलकर विरोध शुरू कर देते हो। भाजपा और कांग्रेस से विनम्र अनुरोध है कि राजनीति के बारे में लड़ें। धर्म और संस्कृति के बारे में न बोलें। इन विषयों पर धर्माचार्यों और विद्धानों को बोलने दें।

राजनेता कब से धर्म के विशेषज्ञ हो गए

रामचरितमानस की चौपाई पर उठे विवाद के बीच ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसे राजनेताओं पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जिन्हें धर्मशास्त्रों का ज्ञान नहीं, वे रामचरित मानस पर सवाल उठा रहे हैं। राजनीतिक लोग रामचरितमानस के विशेषज्ञ कब से हो गए। जब आपको धर्मशास्त्र के बारे में जानकारी नहीं है तो हौव्वा नहीं खड़ा करना चाहिए। रामायण की चौपाई को लेकर खड़े हुए विवाद के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा- विवाद किस बात का हो रहा है। आप रामायण के कितने विशेषज्ञ हैं? रामचरितमानस पर सवाल उठाने से आपका सिर्फ एक मतलब है कि आप हिंदू समाज को दो फाड़ में बांटना चाहते हैं। यानी बांटो और राज करो आपकी राजनीति का तरीका है।

क्या शूद्र कभी पीटे जाते रहे हैं

ढोल-गंवार, शूद्र, पशु नारी… इस चौपाई पर मचे विवाद को लेकर शंकराचार्य ने कहा- शू्द्र क्या कभी पीटे जाते रहे हैं। क्या तुलसीदास जी ऐसे थे कि सारे समाज, सारे शूद्रों को पीटने की बात कह देते। तुलसीदासजी ऐसा कभी नहीं कह सकते। उसका गलत अर्थ क्यों निकाल रहे हो। जो व्यक्ति कह रहा है कि सियाराम में सब जग जानी… यानी वह शूद्र बिना वाला जग तो कह नहीं रहे हैं, नारी बिना वाला सब जग, ऐसा तो बोल नहीं रहे हैं। जो सबको हाथ जोड़कर प्रणाम करने की घोषणा कर रहे हैं, उनके व्यक्तित्व को तो समझें कि वो क्या बोल रहे हैं।

भागवत भागवत की भद्द पिट चुकी

पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था- जातियां पंडितों ने बनाई हैं… इस सवाल पर शंकराचार्य ने कहा- आपका (मोहन भागवत) ज्ञान बहुत बढ़ गया है। पता नहीं कौन सा अनुसंधान किया है। हमने तो गीता में पढ़ा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश लेकर गए थे और बराक ओबामा को भेंट की थी। उस गीता में लिखा है कि कृष्ण कह रहे हैं कि मैंने बनाए हैं। आप कह रहे हैं कि नहीं पंडितों ने बनाए हैं। बाद में कहा कि पंडितों यानी विद्वानों ने बनाई हैं। शंकराचार्य ने कहा कि मेरा सवाल है कि जो चीज विद्वानों ने बनाई है वह अच्छी ही होगी। उसे गलत कैसे कह सकते हो। भागवत के माफी मांगने के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि वे क्या माफी मांगेंगे। उनकी भद्द वैसे ही पिट चुकी है। अपेक्षा की जाती है कि बड़े लोग सुविचारित बोलें।

काशी क्योटो बन गई तो भारत का क्या रहेगा

शंकराचार्य ने कहा कि भारत को भारत रखना पड़ेगा। काशी क्योटो बन रही है। यह क्योटो बन जाएगी तो भारत का क्या रहेगा, फिर तो ये जापान बन जाएगा। भारत को इंडिया, न्यू इंडिया और फिर कुछ और बनाते चले जाएंगे तो ये क्या था, ये पता ही नहीं चलेगा। भारत में पश्चिमी संस्कृति बढ़ रही है। संस्कार सिखाने वाली कोई पाठशाला बची नहीं है। हार्वर्ड में पढ़कर आने वाला बच्चा हार्वर्ड की तरह सोचने लगता है। इसलिए जरूरी है कि भारत का बच्चा भारत में पढ़ने के बाद भारतीय सोच रखते हुए समाज को योगदान दे।

धर्म सिर्फ सनातन, ईसाई-मुस्लिम न करें इस्तेमाल

क्या ईसाई कह सकता है कि हम धर्म हैं। उनकी भाषा में तो धर्म शब्द नहीं है। वे रिलीजन कहते हैं, लेकिन इसका मतलब धर्म की तरह पूरा यथावत नहीं है। मुस्लिम मजहब कहते हैं। इसका भी अर्थ धर्म के जैसे नहीं है। धर्म शब्द केवल सनातन के साथ लगता है। दूसरों को धर्म शब्द का इस्तेमाल कर उसके अर्थ का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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