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ओरछा के राम और खाज्या नायक का पहली बार हुआ मंचन, दर्शकों को पसंद आईं नई कहानियां

एलबीटी और शहीद भवन में नाट्य प्रस्तुतियों में बड़ी संख्या में पहुंचे दर्शक

शहर में रविवार की शाम नाटकों के नाम रही। एक तरफ जहां रंग श्री लिटिल बैले ट्रूप (एलबीटी) में सेवन कलर्स कल्चरल एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा नाटक ओरछा के राम की प्रस्तुति शहर में पहली बार दी गई, वहीं दूसरी तरफ शहीद भवन में लोक गुंजन नाट्य संस्था के कलाकारों ने नाटक खाज्या नायक का मंचन कर निमाड़ की परंपरा से दर्शकों को रूबरू कराया। इन दोनों नाटकों की कहानी पर नजर डालें तो यह दोनों ही कहानियां बेहद दिलचस्प रहीं। बुंदेली भाषा में ओरछा स्थित राम राजा मंदिर के स्थापना की लगभग 400 साल पुरानी कहानी को दिखाया गया है। वहीं नाटक खाज्या नायक में खाज्या कैसे आदिवासी जनमानस के सम्मान के लिए अंग्रेजों से लड़ते हैं, वह दर्शकों को नाटकीय ढंग से दिखाया गया। कहानी का लेखन प्रवीण चौबे ने 18 साल पहले किया था।

ओरछा में श्रीराम को लेकर आईं रानी गणेश कुंवरि

नाटक ओरछा के राम के बारे में सह निर्देशक अदनान खान ने बताया ओरछा को लोग सिर्फ टूरिस्ट स्पॉट के रूप में जानते हैं, लेकिन वहां राम राजा मंदिर की कहानी के बारे में लोगों नहीं पता। इस मंदिर में रामजी की स्थापना ओरछा के तत्कालीन राजा मधुकर शाह की पत्नी रानी गणेश कुंवरि की वजह से हुई थी। एक दिन रानी महल छोड़कर सरयू नदी में आत्महत्या के इरादे से जाती है, लेकिन डूबकी लगाने के बाद भी वह नहीं डूबती। तब भगवान श्रीराम प्रकट होते हैं और कहते हैं कि मेरी इस बाल मूर्ति को तुम जहां है, रख दो। यह मूर्ति वहां हमेशा के लिए स्थापित हो जाएगी। इस नाटक में दर्शकों को भक्ति का अगल स्वरूप देखने को मिला। सरयू नदी में डूबने के दृश्य ने दर्शकों को रोमांच से भर दिया।

आदिवासियों के सम्मान के लिए खाज्या ने लड़ी लड़ाई

नाटक खाज्या नायक में दिखाया गया कि खाज्या जो अंग्रेजों की नौकरी करते थे, लेकिन बाद में वह क्रांतिकारीबने। नाटक की कहानी सेंधवा घाट से शुरू होती है। नाटक में आदिवासी जनमानस के सम्मान, उनके विरुद्ध हो रहे शोषण को मिटाने के लिए वह अंग्रेजों से कई बार लड़ते हैं और अंत में खाज्या को धोखे से मार दिया जाता है, जिसके बाद ग्रामीण जन नम आंखों से खाज्या को श्रद्धांजलि देते हैं।

पहली बार नाटक में देखी राम राजा की कहानी

ओरछा के राम की कहानी पहले कभी नहीं सुनी थी लेकिन नाटक में राम भक्त रानी की कहानी और उनके द्वारा राम राजा को समर्पित मंदिर के बारे में जानने का मौका मिला। नाटक ने प्रस्तुति मनोरंज रही। -अदिति शर्मा, दर्शक

निमाड़ी आदिवासी लोक शैली मे तैयार किया नाटक

नाटक खाज्या नायक में निमाड़ी परंपरा का ध्यान रखा गया। इस नाटक की कहानी पर काफी रिचर्स के बाद इसकी स्क्रिप्ट लिखी है। यह नाटक निमाड़ी आदिवासी लोक शैली में तैयार किया। -प्रवीण चौबे, निर्देशक

निर्देशक को समर्पित किया ‘ओरछा के राम’ नाटक नाटक

ओरछा के राम की रिहर्सल पूरी टीम 8 महीने पहले से कर रही थी। इस बीच में नाटक के निर्देशक प्रदीप कुमार अहिरवार अचानक शांत हो गए। यह नाटक उनको समर्पित किया गया है। -अदनान खान, सह-निर्देशक

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