ताजा खबरभोपाल

सरकारी अस्पतालों में बांट दी गईं अमानक दवाएं, जांच के बाद 28 कंपनियां की गईं ब्लैक लिस्ट

प्रवीण श्रीवास्तव भोपाल। राजधानी के जेपी अस्पताल सहित प्रदेशभर के कई सरकारी अस्पतालों में बीते साल मरीजों को अमानक स्तर की दवाएं बांट दी गईं। मध्यप्रदेश हेल्थ कॉर्पोरेशन द्वारा की गई जांच में जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक 10 दवाएं मापदंडों के मुताबिक नहीं पाई गईं।

रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने दो दर्जन से ज्यादा दवा कंपनियों को दो से तीन साल तक के लए ब्लैक लिस्ट कर दिया है। विभाग ने इन कपंनियों कोे करीब 17 लाख रुपए वसूली का नोटिस भी दिया है। ज्ञात हो कि सभी जिलों में चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (सीएमएचओ) और सिविल सर्जन के स्टोर में इन दवाओं की खरीदी की गई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जिस बैच की दवाएं अमानक पाई गई हैं, जांच रिपोर्ट आने से पहले उनमें से कई दवाएं महीनों पहले अस्पतालों में मरीजों को बांट दी गई थीं। जांच में इन दवाओं के इंडेक्स और मात्रा में अंतर पाया गया। उदाहरण के तौर पर किसी दवा के स्ट्रिप में 500 एमजी आईपी लिखा हुआ है, तो जांच में वह दवा 350 या 400 एमजी की ही निकली। इसी तरह कई दवाओं के स्ट्रिप फटे मिले, तो कई दवाओं मे नमी पाई गई। इसके पहले भी प्रोवीडीन ऑइनमेंट और जिंक सल्फेट टैबलेट के अमानक होने की जांच रिपोर्ट दो साल बाद सामने आई थी।

28 कंपनियां हुईं ब्लैक लिस्टेड: रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में जांच के बाद कुल 28 दवा कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। इनके खिलाफ निविदा शर्तों का पालन न करने, समय पर दवा सप्लाई न होने और दवा की गुणवत्ता सही नहीं होने जैसे कारण हैं।

अमानक दवाओं का असर धीरे- धीरे होता है: जेपी अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. एसके सक्सेना का कहना है सब स्टैंडर्ड दवाओं के सेवन से मरीज की सेहत को ज्यादा नुकसान तो नहीं होता है, लेकिन इसका असर धीरे-धीरे होता है। उनका कहना है कि शरीर में दवा की कम डोज जाने से उसका असर कम होता है और बीमारी लंबे समय तक बनी रहती है।

चार स्तर परदवाओं की जांच

  • दवा खरीदी उन्हीं कंपनियों से की जाती है, जिसके पास डब्ल्यूएचओ-जीएमसी मानक सर्टीफिकेट होता है।
  • कंपनी हर बैच के साथ खुद की लैब में जांच कर ओके रिपोर्ट लगाती है।
  • कंपनी दूसरे राज्य में स्थित एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब की ओके रिपोर्ट लगाती है।
  • अस्पतालों में दवाएं भेजे जाने के बाद रेंडम सैंपल लिए जाते हैं। इन्हें अन्य प्रदेशों में स्थित एनएबीएल मानक वाली लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। यहां रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पूरे बैच को हटा दिया जाता है।

हेल्थ कॉर्पोरेशन की जांच में यह दवाएं मिल चुकी हैं अमानक

  • सोडियम लेक्टेट : शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को मेंटेन करने के काम आती है।
  • पेन्टाप्रजोल इंजेक्शन : गैस और अपच की शिकायत पर दी जाती है।
  • टेलमीसार्टन : हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के इलाज में दी जाती है।
  • मैनीटॉल आईएम 20 : मूत्र संबंधी और गुर्दा से संबंधित रोगों में।
  • नॉरफ्लाक्सिन टैबलेट : प्रोस्टेट, मूत्राशय और गुर्दे के संक्रमण के इलाज के लिए।
  • रैबेपैराजोल टैबलेट : पेट और आंत के एसिड से संबंधित रोगों, जैसे एसिड रिफ्लेक्स, पेप्टिक अल्सर डिजीज आदि।
  • पोवाडीन इंजेक्शन : संक्रमण की रोकथाम और इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • एब्जोरवेन्ट कॉटन वूल : घाव के दौरान पट्टी करने के काम आती है।

यह रूटीन प्रासेस है

यह रूटीन प्रासेस है। अस्पतालों में बंटने के बाद रैंडम सैंपल लिए जाते हैं। गड़बड़ी निकलती है, तो उस पूरे बैच को हटा दिया जाता है। अमानक का अर्थ यह होता है कि दवा में कैमिकल की मात्रा दर्शाई गई मात्रा से कम है। – डॉ. पंकज जैन, एमडी, मप्र पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉपोर्रेशन

संबंधित खबरें...

Back to top button