
नई दिल्ली। कतर ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। इनमें से 7 सैनिक भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए बयान में इसकी जानकारी दी गई है। दरअसल, आठों पूर्व नौसैनिक कतर के खिलाफ जासूसी करने के आरोप में मिडिल ईस्ट की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने 30 अगस्त 2022 को 8 पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था।
भारत की कोशिश हुई सफल, देश लौटे सैनिक
भारत ने कतर की अदालत के जरिए आठों भारतीय नागरिकों को रिहा किए जाने के फैसले की सराहना की है। कतर की अदालत की तरफ से जब मौत की सजा का ऐलान किया गया था, तो भारत ने इसके खिलाफ अपील की थी। जिसके बाद 28 दिसंबर, 2023 को भारत की अपील को ध्यान में रखते हुए आठों नागरिकों को सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगा दी गई थी।
मोदी के बिना रिहाई संभव नहीं थी – पूर्व नौसैनिक
दिल्ली एयरपोर्ट पर लौटने के बाद कुछ पूर्व नौसैनिकों ने मीडिया से बातचीत की। उनमें से एक पूर्व नौसैनिक ने कहा- पीएम मोदी के बिना हमारे लिए भारत लौटना संभव नहीं था। भारत सरकार के लगातार प्रयासों के बाद ही हम वापस अपने देश आए हैं।
घर लौटकर अच्छा लग रहा है – पूर्व नौसैनिक
एक अन्य पूर्व नौसैनिक ने कहा- हम पूरे 18 महीने बाद देश वापिस आए हैं। हम पीएम मोदी और भारत सरकार को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद करते हैं। घर लौटकर अच्छा लग रहा है।
पहले मिली थी मौत की सजा
ये सभी अफसर कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम करते थे। यह कंपनी डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं। उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया था।
गिरफ्तारी से करीब 14 महीने बाद, 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी नौसेनिक अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई थी। भारत की कार्रवाई के बाद उन्हें 28 दिसंबर 2023 को मौत की सजा को कैद में बदल दिया गया था।
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