भोपालमध्य प्रदेश

जिस बच्चे को डॉक्टर जिंदा बताते रहे, तीन दिन पहले ही गर्भ में हो चुकी थी मौत; भोपाल के काटजू अस्पताल के बाहर परिजनों का हंगामा

परिजनों का आरोप- डॉक्टर और स्टाफ झूठ बताते रहे कि बच्चा ठीक है, कार्रवाई की मांग

तरुण यादव, भोपाल। राजधानी के काटजू अस्पताल के बाहर शुक्रवार शाम जमकर हंगामा हुआ। यहां एक परिवार ने अस्पताल के डॉक्टरों पर गर्भवती महिला का सही इलाज नहीं करने और गलत रिपोर्ट देकर उसे डिस्चार्ज करने का आरोप लगाया। दरअसल, अस्पताल पहुंची इस महिला को डॉक्टरों ने बच्चे की हालत सही बताकर घर भेज दिया था। दो दिन बाद निजी अस्पताल में जांच कराने पर पता चला कि बच्चे की गर्भ में ही मौत हो चुकी है। इसके बाद परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल में डिलीवरी कराई, जिसमें बच्चा मृत निकला।

डॉक्टरों की लापरवाही से गुस्साए बच्चे के पिता सुनील राठौर और उनकी पत्नी पूनम (25) अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए। बच्चे की मां ने चीख-चीखकर अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर आरोप लगाए। कहा- पहले तो उन्होंने मुझे भर्ती नहीं किया। बाद में जब हमने दबाव बनाया तो भर्ती तो कर लिया, लेकिन हमें झूठ बताते रहे कि बच्चा ठीक है। सुनील के मुताबिक सबसे पहले हम 4 तारीख को काटजू अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन पत्नी को भर्ती नहीं किया। इसके बाद 7 फरवरी को मैं फिर पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचा। यहां काफी जद्दोजहद के बाद पत्नी को अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन दिन भर कोई इलाज नहीं किया गया।

गलत रिपोर्ट पर कर दिया डिस्चार्ज

रात में एक मैडम आईं और कहा कि बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही हैं। उन्होंने एक प्राइवेट सेंटर में सोनोग्राफी करवाने की सलाह दी। 7-8 को उन्होंने सोनोग्राफी की रिपोर्ट नॉर्मल बताकर पत्नी को डिस्चार्ज कर दिया। कृति मैडम ने पर्चे पर लिखा कि मैं अपनी मर्जी से पत्नी को डिस्चार्ज करवा रहा हूं। इसके बाद 9 फरवरी को फिर से पत्नी को पेट में दर्द हुआ। सुनील के मुताबिक काटजू अस्पताल का रवैया देखकर मैं पत्नी को प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचा और जांच कराई। वहां बताया गया कि बच्चे की मौत 3 दिन पहले ही मौत हो चुकी है। बच्चे के सिर पर खून की गांठ बनी थी। इसके बाद महिला की डिलीवरी कराकर मृत बच्चे को निकाला गया।

अस्पताल, पुलिस सभी ने भगाया

अस्पताल की लापरवाही से नाराज सुनील और उसकी पत्नी शुक्रवार को काटजू अस्पताल के बाहर पहुंचे और जाम लगा दिया। सुनील ने कहा कि मैंने उनकी लापरवाही को लेकर काटजू अस्पताल और थाने में शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। थाने में मुझे चैन सिंह रघुवंशी नाम के पुलिस अधिकारी ने मुझे यह कहकर भगा दिया कि मैं डॉक्टर नहीं हूं। परिजनों ने कृति डायग्नोस्टिक सेंटर और चैन सिंह रघुवंशी पर कार्रवाई की मांग करते हुए एसीपी को आवेदन दिया है।

एसीपी बोले- होगी कार्रवाई

एसीपी चंद्रशेखर पांडेय ने बताया कि बच्चे के परिजनों ने काटजू अस्पताल के सामने थोड़ी देर जाम की स्थिति बनाकर रखी। परिजनों ने अस्पताल पर सही तरीके से इलाज न करने का आरोप लगाया था। हमने और स्थानीय लोगों ने समझाया कि जांच में यदि कोई दोषी होगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने कहा कि हम अपनी तरफ से अस्पताल को जांच के लिए लिखेंगे। उसके बिंदुओं के आधार पर कार्रवाई करेंगे।

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