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मंत्री रहते पास कराए करोड़ों के प्रोजेक्ट, अब काम शुरू न होने पर मांग रहे जवाब

भार्गव के क्षेत्र में भू अर्जन-पर्यावरण का रोड़ा, डॉ. चौधरी के काम नामंजूर

पुष्पेन्द्र सिंह, भोपाल। पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव 9वीं बार विधायक बने हैं। भाजपा सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। इन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में तीन सिंचाई परियोजनाएं मंजूर कराईं, लेकिन अब तक एक भी शुरू नहीं हो पाई है। भार्गव अकेले ऐसे पूर्व मंत्री नहीं हैं, जिनके कामों पर ब्रेक लगा है। एक दर्जन से अधिक पूर्व मंत्री अपने क्षेत्रों में काम पूरे नहीं होने से निराश हैं और विधानसभा में सरकार से जवाब मांगने लगे हैं। रहली विधानसभा क्षेत्र में पांच साल पुरानी 162.66 करोड़ लागत की आपचंद परियोजना का काम पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने से अटका है।

292 करोड़ की कोपरा सिंचाई परियोजना को पर्यावरण और वन्यप्राणी स्वीकृति नहीं मिली है तो 231.78 करोड़ की मिड़वासा परियोजना पर जल संसाधन ने ही रोक लगा दी।

22 हजार हेक्टेयर में सिंचाई प्रभावित

रहली विस में जिन तीन परियोजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति मिली है, उनके पूरा होने पर 22 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिल सकेगी। कोपरा परियोजना के लिए पीसीसीएफ भू प्रबंध ने आपत्ति उठाई थी। यहां परियोजना को लेकर परीक्षण किया जा रहा है।

अनूपपुर में सिविल अस्पताल के लिए लिखे कई पत्र

खाद्य मंत्री रहते बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर अंतर्गत खूंटाटोला में सिविल अस्पताल खोलने के लिए प्रयासरत रहे। उन्होंने इसके लिए कई पत्र लिखे। विभाग ने बताया कि अस्पताल खोलने का प्रस्ताव था, लेकिन विभागीय परीक्षण में पाया गया कि यहां अस्पताल की पात्रता नहीं है।

सीएम ने की थी डैम की घोषणा, डीपीआर नामंजूर

स्वास्थ्य मंत्री रहते डॉ. प्रभुराम चौधरी के सांची विस अंतर्गत गैरतगंज में डैम बनाने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी। इसकी डीपीआर स्वीकृति नहीं हुई। कहुला नहर रहित तालाब 1,198.58 लाख, मदनपुर तालाब- 2,883.18 लाख, बेलनागढ़ी तालाब- 1,656.65 लाख और सईदपुर तालाब 9,826.34 लाख की लागत के प्रोजेक्ट बने थे। रायसेन किले पर रोप-वे निर्माण वित्तीय संकट के चलते शुरू नहीं हुआ। पूर्व मंत्री का पक्ष जानने कई बार संपर्क किया, लेकिन उपलब्ध नहीं हुए।

जहां भूमिपूजन किया, वहां का स्थान बदला

मंत्री रहते हरदीप सिंह डंग ने अपने विस क्षेत्र सुआसरा के सीतामऊ में सिविल हॉस्पिटल के लिए भूमिपूजन किया। उनका आरोप है कि स्थल पर निर्माण नहीं हो रहा है। वह काम रुकवाना चाहते हैं। विभागीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का कहना है कि निर्माण स्थल में कोई बदलाव नहीं है। वहां 76 लाख खर्च हो चुके हैं। सुआसरा में हाईस्कूल खेजड़िया, तरनोद, साखतली और उमावि तितराद, दीपाखेड़ा, हाई स्कूल बोरखेड़ी में भवन निर्माण में भी वित्तीय संकट का झमेला है। हरदीप सिंह डंग से संपर्क किया, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सके।

बंगाली विस्थापितों को 5 साल बाद भी पट्टे नहीं

खनिज मंत्री रहे बृजेंद्र प्रताप सिंह पन्ना विधानसभा क्षेत्र में छूटे हुए बंगाली विस्थापित परिवारों को पट्टा नहीं दिला पाए हैं। पट्टे देने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी। काम शुरू न होने पर सरकार ने बताया कि अभी तक अभिलेख उपलब्ध नहीं होने के कारण पट्टे प्रदाय नहीं किए जा सके हैं। अजयगढ़ में मझगांव सिंचाई परियोजना अंतर्गत निर्माण किए जा रहे मझगांय एवं रूंझ बांधों का मामला भी अटका है। पन्ना में मेडिकल कॉलेज खोले जाने के सवाल पर विभाग के मंत्री ने इससे इनकार किया है।

भू-अर्जन और वन स्वीकृति मिलने का इंतजार

तीनों सिंचाई परियोजनाएं मंजूर कराई थी, लेकिन भू-अर्जन, पर्यावरण एवं वन्यप्राणी मंजूरी का मामला अटका है। बीस साल जवाब देते रहे, अब सरकार से प्रश्न पूछा है कि ये प्रोजेक्ट कब तक पूरे होंगे? – गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री

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