
भोपाल। मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक विरासत, समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य हमेशा से ही दुनियाभर के सैलानियों को आकर्षित करते आए हैं। ये स्थल न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि वे मानव इतिहास और कला की अनमोल झलक भी पेश करते हैं।
इन्हीं धरोहरों को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ‘एक्सेसिबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट’ परियोजना पर कार्यरत है। महेश्वर, मांडू, धार और ओरछा जैसे प्रसिद्ध स्थलों पर रैंप, ब्रेल साइन बोर्ड और व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे दिव्यांगजनों की यात्रा अधिक सहज और आत्मसम्मानपूर्ण हो सके।
यूनेस्को सूची में अधिक से अधिक धरोहरें लाने का लक्ष्य
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन और पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी के नेतृत्व में प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को यूनेस्को की स्थाई विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुक्ला ने कहा, “पर्यटन स्थलों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित करने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।”

दिव्यांगजनों को ध्यान में रखते हुए सुविधाएं
परियोजना के पहले चरण में महेश्वर, मांडू, धार और ओरछा में पर्यटन स्थलों का कायाकल्प किया जा रहा है। इन स्थानों पर विशेष रूप से दिव्यांगजनों को ध्यान में रखते हुए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे वे भी ऐतिहासिक स्थलों के सौंदर्य और महत्व का अनुभव कर सकें।
कार्य योजना तैयार
परियोजना की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। इसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वित्तीय सहायता से संचालित किया जाना प्रस्तावित है। यह पहल मध्यप्रदेश को समावेशी पर्यटन राज्य के रूप में स्थापित करेगी।
ये होंगे प्रमुख विकास कार्य
परियोजना के तहत लोकोमोटर दिव्यांगता, दृष्टि और श्रवण बाधा सहित विभिन्न दिव्यांगजन वर्गों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रैंप, ब्रेल संकेतक, ऑडियो गाइड्स, सुलभ शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

प्रमुख स्थलों पर होंगे विशेष बदलाव
- महेश्वर : नर्मदा रिसॉर्ट, राम कुंड, देवी संग्रहालय, कालेश्वर और जलेश्वर मंदिर सहित कई स्थानों पर सुधारात्मक कार्य।
- मांडू : सात कोठरी मंदिर, दिल्ली दरवाजा, मालवा रिसॉर्ट, मलिक दीनार मस्जिद, अशरफी महल और रूपमती पेवेलियन सहित अन्य स्थानों पर सुविधा विस्तार।
- धार : बाघ की गुफाओं और संग्रहालय में विशेष निर्माण।
- ओरछा : राजा महल, जहांगीर महल, तमिरत की कोठी, राय प्रवीण महल सहित अनेक ऐतिहासिक स्थलों पर दिव्यांगजनों के लिए विशेष व्यवस्थाएं।
प्रदेश की 18 धरोहरें यूनेस्को सूची में
मध्यप्रदेश में यूनेस्को द्वारा घोषित 18 धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 3 स्थाई और 15 टेंटेटिव सूची में शामिल हैं। खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं और सांची स्तूप स्थाई सूची का हिस्सा हैं। वहीं, मौर्य कालीन शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला स्थापत्य से जुड़े महल व किले हाल ही में टेंटेटिव सूची में शामिल किए गए हैं।
अवधारणाओं और आस्थाओं की विरासत
- सम्राट अशोक के शिलालेख : नैतिक शासन और बौद्ध धर्म के प्रचार का प्रमाण देने वाले 2200 वर्षों से संरक्षित अभिलेख
- चौंसठ योगिनी मंदिर : तांत्रिक परंपराओं, अनूठी स्थापत्य शैली और आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण ऐतिहासिक मंदिर
- गुप्तकालीन मंदिर : भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआत और उत्कृष्ट शिल्पकला के जीते-जागते उदाहरण
- बुंदेला कालीन महल व किले : राजपूत और मुगल शैली की स्थापत्य कलाओं का अद्भुत संगम