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भारत-चीन के बीच वार्ता विफल : जानें कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बैठक में क्या बात हुई

पूर्वी लद्दाख में पिछले 20 माह से जारी गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच 14वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। कोर कमांडर स्तर की यह वार्ता पूर्वी एलएसी के पास चुशुल मोल्डो सीमा में हुई। दोनों देशों के बीच पश्चिमी क्षेत्र के एलएसी से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इससे संबंधित मुद्दों पर दोनों संपर्क में रहेंगे। इस दौरान कमांडरों के बीच सहमति बनी है कि वे जल्द ही मुलाकात करेंगे। हालांकि, इसके लिए कोई समय-सीमा नहीं बताई गई।

दोनों पक्षों के बीच इस बात को लेकर नहीं बनी सहमति

बातचीत के दौरान गतिरोध तब आया जब चीनी सेना भारतीय सेना को हाट स्प्रिंग्स, देपसांग और दमचोक में गश्त की ‘अनुमति’ देने को तैयार नहीं हुई। दरअसल चीनी सेना अभी भी इन तीन स्थानों पर जमी हुई है। भारतीय जवान भी शून्य से 40 डिग्री के तापमान में आमने सामने हैं। विवाद के चलते भारतीय सेना इन इलाकों में गश्त नहीं कर पा रही है।

क्यों रोक दी गई थी गश्त

यह गश्त वर्ष 2020 में उस समय रोक दी गई थी जब चीनी सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर एलएसी के हजारों किमी इलाकों में ‘बढ़त’ हासिल करते हुए रातों रात अपने करीब एक लाख जवानों को सैनिक साजो सामान के साथ तैनात कर दिया था।

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बातचीत के बाद हटाए गए थे हजारों सैनिक?

वैसे हाट स्प्रिंग्स में अभी भी दोनों पक्षों ने बहुत ही कम सैनिक तैनात कर रखे हैं पर उनकी वापसी का मुद्दा 14वें दौर की बातचीत में नहीं सुलझ पाया। सूत्रों के अनुसार, इनकी संख्या 100 से 200 के बीच है। पर इतना जरूर था कि गलवान में हुई झड़प के बाद जुलाई 2020 में जब दोनों पक्षों में बातचीत हुई तो हाटस्प्रिंग्स, जिसे पैट्रोल प्वाइंट 15 भी कहा जाता है, दोनों पक्षों ने अपने 2 से 3 हजार सैनिकों को पीछे हटा लिया था। पर भारतीय पक्ष गश्त आरंभ नहीं कर पाया।

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सिर्फ हाट स्प्रिंग्स अर्थात पीपी 15 ही नहीं बल्कि अन्य कई ऐसे इलाके भी हैं जहां फिलहाल भारतीय पक्ष पौने दो सालों से गश्त नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे का कारण पहले चीनी सेना की आपत्ति थी फिर दोनों पक्षों में होने वाली ‘सहमति’ थी जिसके तहत उन इलाकों को बफर जोन्स बना दिया गया था जहां से दोनों पक्ष सैनिक हटाने को राजी हुए और बाद में वे मई 2020 के स्थानों पर लौट गए थे। इनमें गलवान वैली, गोगरा हाइट्स, पैंगांग झील का उत्तरी तट तथा कैलाश रेंज भी शामिल हैं।

भारत ने पुल निर्माण का उठाया मुद्दा

बुधवार को करीब 9 घंटे तक चली वार्ता का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया। इस दौरान भारत ने पीएलए के पैगोंग त्सो पर एक पुल के निर्माण का मुद्दा भी उठाया। बता दें कि 13वें दौर की वार्ता पिछले साल अक्टूबर में हुई थी, तब चीन उस वक्त गतिरोध को कम करने के लिए तैयार नहीं हुआ था।

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