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गर्मियों की तैयारी, पक्षियों के लिए बर्ड नेस्ट बनाने का काम हुआ शुरू

बर्ड नेस्ट वीक : भोपाल बर्ड्स व जैव विविधता बोर्ड सिखा रहा घोंसले बनाना

प्रीति जैन- गर्मियों का मौसम कुछ दिनों में दस्तक देने वाला है। इसके साथ ही बर्ड नेस्ट तैयार करने का काम भी शहर में शुरू हो चुका है ताकि पक्षियों को गर्मियों में दाने-पानी व अपने रहवास के लिए परेशान न होना पड़े। शहर में कुछ लोग पूरे साल ही बर्ड नेस्ट बनाने के काम में जुटे रहते हैं और एनजीओ के माध्यम से इनका वितरण करते हैं। भोपाल बर्ड्स द्वारा मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से कृत्रिम घोंसले बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। गौरैया मित्र इन्हें शहर के अलग-अलग इलाकों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वितरित करेंगे। वहीं अब ऑनलाइन भी कई तरह के बर्ड नेस्ट मिलने लगे हैं जिन्हें लोग बालकनी व छतों पर लगा सकते हैं।

गौरेया का लिए खास घोंसला

इस पक्षी घर में 5 सेमी प्रवेश द्वार है ताकि गौरैया, हमिंगबर्ड और अन्य छोटे पक्षी जैसे पक्षी आसानी से इसमें रह सकें। घोंसले मे प्रवेश छेद का डिजाइन छोटा रखा गया है ताकि कौआ या कबूतर जैसे बड़े पक्षी बर्डहाउस में प्रवेश न कर सकें। अधिकतम एयरफ्लो सुनिश्चित करने के लिए एयर वेंट के साथ डिजाइन किया गया। घोंसले में एक अच्छी तरह हवा आनाा चाहिए, तभी पक्षी से इस अपनाते हैं। यह पक्षी घोंसला हुक के साथ आता है ताकि हम इसे पेड़, छत, बालकनी, खिड़की, बगीचे और दीवारों पर लटका सकें। इसके अलावा पेड़ पर लटकाने के लिए भी घोंसले आते हैं।

नारियल के खोल से भी बनाए जा रहे हैं बर्ड नेस्ट

बर्ड नेस्ट नारियल के खोल से भी बनाए जा रहे हैं। वहीं नारियल फाइबर के इस्तेमाल से कुदरती दिखने वाले नेस्ट भी बनाए जा रहे हैं, जिसमें जूट का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह पक्षी घोंसले हैंगिंग हुक के साथ आते हैं, ताकि इसे पेड़, छत, बालकनी, खिड़की, बगीचे और दीवारों पर लटका सकें।

भोपाल बर्ड्स के माध्यम से पिछले कई सालों से गौरैया के बचाने और इसके प्रति लोगों को अवेयर करने का काम कर रहे हैं। भोपाल बर्ड्स के द्वारा इनके लिए समय-समय पर कार्यशालाएं और बर्ड नेस्ट भी वितरित किए जाते हैं। कॉलेजों में हम स्टूडेंट्स को घोंसले बनाना सिखाते हैं जिसमें पक्षी आसानी से अंदर आ सकें और रुक सकें। यदि स्कूल व कॉलेज से प्रशिक्षण देने के लिए हमें बुलाया जाता है तो हम वहां सामग्री लेकर घोंसला बनाने का प्रशिक्षण भी देते हैं। -मो. खालिक, पक्षी विशेषज्ञ

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