हर्षित चौरसिया-जबलपुर। नवरात्र के पावन पर्व पर वैसे हर व्यक्ति हर शुभ काम के लिए विशेष तैयारियां करता है, लेकिन गर्भवती महिलाएं और उनके परिजन इन दिनों प्रसव न हो इसे लेकर प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के केस इन दिनों अस्पतालों की गायनिक ओपीडी में चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। गर्भवती महिलाओं की इस मांग को लेकर स्त्री रोग विशेषज्ञ भी असमंजस में है कि आखिर वे इन्हें कैसे समझाएं।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन कराए थे प्रसव
अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के समय कई परिजनों ने डिलीवरी और शादी की डेट को आगे बढ़ाया था। लालघाटी पर रहने वाली रुची सोनी ने बताया कि उनकी डिलीवरी के 19-20 जनवरी प्रस्तावित थी, लेकिन वे चाहती थीं कि डिलीवरी 22 जनवरी हो जाए। उन्होंने कहा – मैं खुश हूं कि मेरे बेटे का जन्म भी रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को हुआ।
केस 1
सदर निवासी सुनीता (परिवर्तित नाम) ने बताया कि उनकी दूसरी प्रेग्नेंसी है। डॉक्टरों ने 8 अक्टूबर की डेट दी है इस दिन नवरात्र की पंचमी है। उन्होंने डॉक्टर से आग्रह किया है कि उनका सीजर अष्टमी के बाद करें।
केस 2
पाटन निवासी काजल (परिवर्तित नाम) नवरात्र के समय उनकी डिलीवरी की डेट पड़ रही है वे चाहती हैं कि नवरात्र के बीच उन्हें सीजर न कराना पड़े। डॉक्टर से आग्रह किया है।
किसी के घर बच्चे का जन्म होने पर उनके यहां सोर लगता है। यह 10 दिन तक होता है। सोर लगने पर उनके परिजनों का मूर्ति स्पर्श, पूजन-पाठ एवं मंदिर जाना वर्जित है। – पंडित सुरेन्द्र दुबे शास्त्री, पुजारी कचनार मंदिर
कुछ गर्भवतियों की डिलीवरी डेट नवरात्र के बीच में है। वे चाहती हैं सीजर नवरात्र के बाद हो, लेकिन यह परिस्थिति पर संभव है। लेबर पेन होने पर प्रसव कराना होगा। – डॉ. कावेरी शॉ, स्त्री रोग विशेषज्ञ