ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

प्रधानमंत्री मोदी झारखंड से साधेंगे मप्र के आदिवासी मतदाताओं को, जनजातीय गौरव दिवस पर जाएंगे बिरसा मुंडा की जन्मस्थली

मनीष दीक्षित, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खासियत है कि वे चुनावों में अंतिम समय तक जोर लगाते हैं और ऐसा कुछ करने की कोशिश करते हैं, जिसका असर चुनावों पर पड़ता है। जब मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनावी शोर अपने अंतिम दिन में है उस दौरान मोदी झारखंड का दौरा कर रहे हैं। अब भला झारखंड दौरे से मप्र का क्या संबंध? दरअसल, जनजातीय गौरव दिवस के दिन बुधवार को पीएम मोदी भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली झारखंड के खूंटी जिले स्थित उलिहातु पहुंच कर मप्र के आदिवासियों को साधने का प्रयास करेंगे।

आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश

दरअसल, जनजातीय दिवस पर पीएम के झारखंड दौरे को मप्र और छत्तीसगढ़ में आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने ही 15 नवंबर 2021 को प्रदेश की राजधानी भोपाल से बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर जनजातीय गौरव दिवस का शुभारंभ किया था।

बहरहाल, मप्र और छत्तीसगढ़ के लिए जनजातीय गौरव दिवस के मायने बहुत खास हैं। इन दोनों जगहों पर आदिवासी निर्णायक हैं। वर्ष 2018 में भाजपा से छिटके तो कांग्रेस की सरकार बन गई। वर्ष 2013 में भाजपा के साथ थे, तो सीटों की संख्या 165 हो गई थी। ठीक एक वर्ष बाद राष्टÑपति द्रौपदी मुर्मु का जनजातीय गौरव दिवस पर मध्य प्रदेश के शहडोल में आना इस बात के संकेत दे चुका था कि भाजपा को किसी भी सूरत में आदिवासियों को लुभाना है।  ऐसा इसलिए भी, क्योंकि मप्र में देश की कुल आदिवासी आबादी का 14.7 फीसदी निवास करता है। यही वजह है कि आदिवासियों को साधने की कोशिश में सभी सियासी दल हैं। राहुल और प्रियंका भी उन्हें रिझाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

लगातार उठाते रहे आदिवासियों के मुद्दे

मप्र में अपनी सभाओं के दौरान भी प्रधानमंत्री लगातार आदिवासियों के मुद्दे उठाते रहे। सोमवार को बड़वानी और बैतूल की रैली में अपने भाषण में कहा, ‘जिस आदिवासी समाज को कांग्रेस ने हमेशा नजरअंदाज किया, जिस आदिवासी समाज की कांग्रेस ने कभी परवाह नहीं की… उसका गौरव बढ़ाने का काम भाजपा ने किया है। जनजातीय दिवस पर केंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण योजना शुरू करने जा रही है।’

यह है मध्य प्रदेश का सियासी गणित

प्रदेश के 20 जिलों के कुल 89 विकासखंड आदिवासी क्षेत्रों में आते हैं। इसके अलावा लगभग 84 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 84 में से 34 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ था। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवार जीत और हार तय करते हैं, वहां भाजपा को सिर्फ 16 सीटों पर ही जीत मिली थी, जो 2013 की तुलना में 18 सीटें कम हैं।

मध्य प्रदेश की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

संबंधित खबरें...

Back to top button