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धूल ने बढ़ाई मुसीबत, आंख, स्किन और सांस के मरीज डेढ़ गुना तक बढ़े

बारिश थमने के बाद सड़कों पर उड़ने लगे धूल के गुबार

भोपाल। बारिश थमने से सूखी सड़कों पर जमा धूल का गुबार उठने लगा है। कई सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि बड़े वाहनों के पीछे चल रहे बाइक चालकों को धूल के बीच कुछ नजर नहीं आता है। इसका असर अब सेहत पर भी पड़ रहा है। लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंख संबंधी और त्वचा संक्रमण जैसी दिक्कतें हो रही हैं। बीते एक हफ्ते में अस्पतालों में धूल से परेशानियों वाले मरीजों की संख्या डेढ़ गुना से भी अधिक हो गई है। जेपी अस्पताल की बात करें, तो यहां आंखों की परेशानियों वाले मरीजों की संख्या 50-60 से बढ़कर 75-80 तक पहुंच गई है। स्किन इंफेक्शन के भी रोजाना 90-100 मरीज पहुंच रहे हैं, जबकि एक हμते पहले तक इनकी संख्या 70-80 थी।

हो सकती हैं गंभीर परेशानी : डॉक्टरों के अनुसार, धूल से सबसे ज्यादा परेशानी सांस के मरीजों को होती है। धूल के कण सांस की नलियों में जम जाते हैं, इससे सांस लेने में तकलीफ हो जाती है। महीन धूल के कण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी भी हो सकती है। धूल के कण फेफड़ों में जाने से गंभीर संक्रमण हो सकता है। इससे खांसी के साथ छींक आना, आंख से पानी गिरना, खुजली और त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं।

इन प्रमुख सड़कों पर धूल की वजह से दिक्कत ज्यादा

भोपाल रेलवे स्टेशन रोड, प्रभात चौराहे से बिजली कॉलोनी, राजभवन से पॉलीटेक्निक चौराहा, नीलम पार्क से भारत टॉकीज, भोपाल टॉकीज से डीआईजी बंगला, लालघाटी से बैरागढ़, मिलिट्री गेट से रेजीमेंट रोड, भारत माता चौराहे से भदभदा पुल, नीलबड़ से रातीबड़, कोलार रोड, ऑरा माल से बसंत कुंज, रोहित नगर से हबीबगंज नाका, अवधपुरी मेन रोड, अयोध्या बायपास आदि।

ऐसे करें बचाव

  • सबसे बेहतर है कि मास्क का उपयोग करें। इससे सांस के साथ धूल के कण अंदर प्रवेश नहीं करेंगे। चश्मा जरूर पहनें, जिससे आंखों का बचाव होगा।
  • बाहर से आकर एक बार आंख, चेहरा और हाथ- पांव साफ पानी से जरूर धोएं।

मेरा 10 दिन पहले ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टर ने हिदायत दी थी आंखों को बचाना है। सड़कोंं पर इतनी धूल है कि इससे बचना मुश्किल है। शुक्रवार को आंख में तेज दर्द के बाद डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने धूल से बचने को कहा। -राकेश विश्वकर्मा, चौकसे नगर

मुझे सांस की तकलीफ है। धूल से बहुत ज्यादा दिक्कत है। घर से मेरी दुकान करीब 10 किमी दूर है। पूरे रास्ते में धूल ही मिलती है। दो दिन पहले धूल के कारण अस्थमा अटैक भी आ गया था। मैं मास्क के बिना बाहर नहीं निकलता। -नदीम खान, शाहजहांनाबाद

ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या लगभग डेढ़ गुना अधिक हो गई है। हर दूसरा मरीज कंजक्टिवाइटिस, ईचिंग, रेडनेस, आंख में दर्द और आंख से पानी आने की शिकायत लेकर पहुंच रहा है। -डॉ. एसएस कुबरे, आई स्पेशलिस्ट, हमीदिया अस्पताल

लंबे समय से सड़क पर जमी धूल बारिश थमने के कारण उड़ रही है। जिनको पहले से सांस संबंधी परेशानी है, उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं। उनको सांस फूलने, कफ जमने, खांसी जैसी परेशानियां हो रही हैं। -डॉ. योगेन्द्र श्रीवास्तव, मेडिसिन विशेषज्ञ, जेपी अस्पताल

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