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पीपुल्स अपडेट ने साइबर ठगों को सिखाया सबक, ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए पढ़ें यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…

वासिफ/ भोपाल। आज देश में जैसे-जैसे डिजिटल क्रांति हो रही है, वैसे-वैसे इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इसका सबसे अधिक दुरूपयोग साइबर ठगों द्वारा किया जाता है, जो समय-समय पर अपने पैंतरे बदलकर ठगी को अंजाम देते हैं। बीते समय में, बैंक कर्मचारी या अधिकारी बनकर बैंक खाते बंद होने का हवाला देकर ओटीपी मांगना सबसे अधिक विख्यात है। लेकिन समय के साथ ठगी को लेकर बढ़ी सतर्कता ने इस पर अंकुश पाने में सफलता हासिल की है। पिछले दो सालों में ठगों ने अपने तरीके को बदलते हुए इसे नया रूप दिया, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम से जाना गया।

बीते कुछ महीनों में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। इसमें कई लोगों को ठगा गया और उन्होंने लाखों रुपए भी गंवाए। इसे रोकने के लिए शासन-प्रशासन मुस्तैद हैं। डिजिटल अरेस्ट इतना आम हो चुका है कि पीएम मोदी को भी अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में इसका जिक्र करना पड़ा और उन्होंने इससे बचाव के तरीके भी बताए। इस साइबर फ्रॉड में यह भी जानना जरूरी है कि ठगी को अंजाम दे रहे स्कैमर्स का सेटअप कैसा होता है और वो किस तरह से अपनी बातों में फंसाकर और डरा-धमकाकर उगाही करने में सफल होते हैं।

ऐसा ही एक वाक्या पीपुल्स अपडेट की टीम के साथी वरूण दीप श्रीवास्तव के साथ हुआ। जहां साइबर ठग ने उन्हें सिम कार्ड बंद होने का हवाला देकर डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की।

दो घंटे के भीतर ही सिम कार्ड की सारी सेवाएं होंगी बंद

सबसे पहले वरूण के नंबर पर एक अंजान नंबर (+68821637507) से कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही कंप्यूटर जनरेटेड आवाज के जरिए (ठीक वैसै ही जैसे रिचार्ज खत्म होने के समय कंपनी आटोमेशन पद्धति के जरिए रिचार्ज करवाने को कहती है), बताया गया कि ‘इस्तेमाल की जा रही सिम पर हो रही असामान्य गतिविधियों के कारण, इसकी सारी सेवाएं अगले दो घंटे के भीतर ही बंद कर दी जाएंगी।’ इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए ‘एक’ और कस्टमर केयर अधिकारी से बात करने के लिए ‘जीरो’ दबाने को कहा गया। जीरो बटन दबाने पर कॉल को एक व्यक्ति ने अटेंड किया। हालांकि, यह एक औपचारिकता मात्र थी। वरूण दीप श्रीवास्तव ने इस मामले को हैंडल करने के लिए फोन को पीपुल्स अपडेट के हेड जितेंद्र शर्मा को सौंप दी।

सब कुछ लग रहा था सामान्य

सामने से व्यक्ति ने कहा कि अगर आप हिंदी में बात करना चाहते हैं तो मैं आपकी कॉल को हिंदी भाषी व्यक्ति के पास ट्रांसफर करता हूं। यह सब बाकायदा आधिकारिक लग रहा था। हिंदी डिपार्टमेंट में कॉल ट्रांसफर होने के बाद व्यक्ति ने कहा, ’मैं संदीप कुमार, टेलीकॉम डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं। बताइए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं?’

जितेंद्र शर्मा ने कहा, ’मेरी सेवाएं बंद होने वाली हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?’

सारा अभिनय बिल्कुल टेलीकॉम डिपार्टमेंट की तरह ही था

इस पर स्कैमर ने कहा कि सर मैं चेक करता हूं और फिर पूरा नाम पूछा। यह सारा अभियन बिल्कुल टेलीकॉम डिपार्टमेंट की तरह ही था। डिटेल्स चेक करने का हवाला देकर थोड़ी देर कॉल को होल्ड रखने की एक्टिंग के बाद स्कैमर ने कहा, ‘आपके खिलाफ एक नोटिस है, जिसमें यह मेंशन किया गया है कि आपके नाम पर मुंबई में एक नया सिम कार्ड रजिस्टर किया गया है।’

इसके साथ ही उसने सिम रजिस्टर होने की तारीख व सिम कार्ड का आखिरी चार अंक भी बताया और कहा कि मुंबई पुलिस की तरफ से आपके नए सिम पर नोटिस जारी किया गया है। जितेंद्र शर्मा ने पीड़ित का अभिनय जारी रखते हुए कहा कि ऐसा कोई नंबर मैंने रजिस्टर नहीं कराया था।

सिम से गैरकानूनी गतिविधियां करने का आरोप

स्कैमर ने कहा, ’मुंबई में आपका सिम रजिस्टर है, जिससे गैरकानूनी गतिविधियां की गई हैं। इसमें लोगों को गलत और गंदे मैसेज करना और हरासमेंट करने जैसी चीजें शामिल हैं। इस वजह से मुंबई पुलिस स्टेशन में इस नंबर के खिलाफ बहुत सारी शिकायतें दर्ज की गई हैं। इस फोन को करने की मंशा भी यह जानने की थी कि आखिर आपके द्वारा ऐसी हरकतें क्यों की जा रही हैं। ’

इसके जवाब में जितेंद्र शर्मा ने कहा कि आप मेरे सिम की डिटेल्स चेक कर लें। मेरे द्वारा ऐसी किसी भी गतिविधि को अंजाम नहीं दिया गया है और जिस सिम के बारे में आप बता रहे हैं, वो मेरा नहीं है। स्कैमर यहीं नहीं रुका, उसने कहा कि अभी जिस नंबर पर फोन किया गया है, वह गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त सिम कार्ड का वैकल्पिक नम्बर है। उसने मौजूदा नंबर को कंफर्म करने के लिए दस अंक का एक मोबाइल नंबर बोला, जो कि गलत था और वह वर्तमान में वरूण दीप श्रीवास्तव द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फोन नंबर से बिल्कुल अलग था।

स्कैमर ने अपनाए अलग-अलग तिकड़म

जब इस बार भी जितेंद्र शर्मा द्वारा कहा गया कि जिस सिम कार्ड का आप जिक्र कर रहे हैं, वह मैंने न ही रजिस्टर किया है और न ही मैं उसे इस्तेमाल करता हूं। इस पर स्कैमर ने डिपार्टमेंट की तरफ से कॉल रिकॉर्ड किए जाने का हवाला देकर डराना शुरू किया। फिर उसने नई तिकड़म अपनाते हुए कुछ सवाल किए, जैसे- क्या आपका आधार, पैन आदि कभी खोया है? क्या आपने कभी लोन लिया है वगैरह। जब इसे भी नकारा गया तब ठग ने कहा हो सकता है, कहीं से क्रिमिनल को आपके ये दस्तावेज मिले हों, जिसके बाद उसने ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया हो।

आप मुंबई थाने से इसकी एनओसी ले लें कि आपके नाम किसी और ने ये हरकत की है। फिर उसकी कॉपी आप हमारे टेलीकॉम डिपार्टमेंट में भेज दें। आपको यह काम दो घंटे के भीतर मुंबई पहुंचकर करना है। फिर उसने पूछा कि आप कहां रहते हैं? जवाब में भोपाल कहने पर स्कैमर ने कहा कि आप दो घंटे में तो मुंबई नहीं पहुंच सकते। मैं एक काम करता हूं, आपका कॉल मुंबई थाने में ट्रांसफर करता हूं ताकि इस मामले को आप फोन पर ही सुलझा लें। इस पर जितेंद्र शर्मा ने पूछा कि मुंबई के किस थाने में कॉल ट्रांसफर की जा रही है, जिसे स्कैमर ने टाल दिया।

कॉल को मुंबई थाने में ट्रांसफर करने को कहा

कॉल ट्रांसफर करने से पहले स्कैमर ने कहा कि जब कॉल ट्रांसफर होगी तो आपको बताना है कि आपने सिम को अमुक दुकान से अमुक तारीख को खरीदी थी। उसने एड्रेस नोट करने को कहा, फिर आहिस्ता रुक-रुककर सिम की दुकान का एड्रेस बताने लगा।

इसी बीच उसने कंफर्म करने के लिए पूछा कि क्या आप एड्रेस नोट कर रहे हैं। जैसे ही पीपुल्स अपडेट के डिजिटल हेड जितेंद्र शर्मा ने ‘मैं आपकी बातों को नोट कर रहा हूं’ की जगह गलती से ‘मैं रिकॉर्ड कर रहा हूं’ कहा, वैसे ही ठग ने भांप लिया कि वह गलत हत्थे चढ़ गया है। इसके फौरन बाद उसने बिना कुछ कहे फोन काट दिया।

तो देखा आपने… ये है साइबर ठगों का अपनी बातों में उलझाकर लोगों को ठगने का तरीका। इस तरह से जब भी आपके पास साइबर ठगों के कॉल्स आए, तो आपको बिल्कुल भी नहीं डरना है। पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उनसे बात करें और इसकी सूचना तुरंत साइबर पुलिस को दें।

इससे बचने के लिए जरूरी सलाह

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए कुछ बुनियादी, लेकिन जरूरी सुझाव, जिसकी मदद से आप साइबर ठगी से बच सकते हैं।

  1. ऐसी कोई भी कॉल आए और आपको थोड़ा भी कॉल के फर्जी होने का आभास हो तो आप सबसे पहले कॉल को अटेंड ही न करें।
  2. अगर आपने फोन उठा भी लिया और किसी असामान्य व गैरकानूनी गतिविधि का हवाला देकर फंसाने की कोशिश की जाए, तो डरें नहीं बल्कि शांत रहने की कोशिश करें।
  3. कोई आपसे सरकारी/शासकीय अधिकारी बनकर बात करता है, तो ऐसे में यह ध्यान रखें कि कोई भी सरकारी अधिकारी आपसे फोन पर इंटेरोगेशन नहीं कर सकता। किसी भी सरकारी विभाग में इसका प्रावधान नहीं है। अगर आपने सच में कोई गलती की भी है तो, आपकी पूछताछ हमेशा फिजिकल रूप से संबंधित विभाग में की जाती है।
  4. भूल से भी पैसे की डिमांड को पूरी न करें। याद रखें कि किसी भी सरकारी विभाग द्वारा किसी भी क्राइम के सिलसिले में पैसे लेकर राहत देने का अधिकार नहीं है। ऐसा करना अपने आप में ही एक अपराध है।
  5. ऐसी किसी भी स्थिति में आप सबसे पहले अपने प्रियजन से बात करें। चाहे वो आपका दोस्त हो, परिवार का कोई सदस्य या अन्य कोई।
  6. ऐसी किसी भी स्थिति में आप फौरन अपने लोकल थाने की पुलिस से संपर्क करें और उन्हें इसकी सूचना दें। वो तुरंत आपको इस बात से आगाह करेंगे कि यह एक फ्रॉड कॉल है। जिसके तहत आपको ठगने की कोशिश कीज जा रही है।
  7. अगर कभी आपके बच्चे या किसी खास परिजन को किसी ड्रग केस, वेश्यावृत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, सिम कार्ड से किए गए फ्रॉड आदि में संलिप्तता का हवाला देकर फंसाने की कोशिश की जाए, तो सबसे पहले आप फोन काट दें और उस व्यक्ति विशेष को फोन कर उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित कर लें।
  8. फोन पर आए ओटीपी को कभी भी किसी के साथ साझा न करें।
  9. हमारे देश का कंट्री कोड +91 है, यानी जब भी आपको किसी अंजान नंबर से फोन आए तो उसके दस अंक के नंबर से पहले यह कोड लिखा होगा। अगर +91 कंट्री कोड की जगर कोई और कोड लिखा हुआ आए तो आप कॉल रिसीव करने से बचें।
  10. व्हाट्सऐप पर अंजान नंबर से आ रहे वीडियो कॉल को रिसीव न करें। अगर आपको जरूरी लगे तो आप चैट के जरिए उसकी पहचान की पुष्टि करें, इसके बाद ही वीडियो कॉल इंटरेक्शन करें।

 

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