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16/8 फास्टिंग नियम मानने वालों को हार्ट अटैक का खतरा

शोध में दावा- मोटापे से परेशान लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं, जो शरीर को पहुंचाता है नुकसान

नई दिल्ली। दुनिया में मोटापा झेल रहे लोगों की संख्या 100 करोड़ के पार है। इसे कम करने का पॉपुलर चलन है- इंटरमिटेंट फास्टिंग का, जिसे लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है। वैज्ञानिकों की मानें तो इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वालों में हार्ट डिजीज यानी दिल की बीमारी से मौत का खतरा 91% तक बढ़ जाता है। अमेरिका के शिकागो में संपन्न हुए अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की लाइफस्टाइल साइंटिफिक सेशन में इस रिसर्च का एब्सट्रैक्ट प्रस्तुत किया गया। बता दें, इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब होता है कि एक निश्चित अवधि तक भूखे रहना। इसका जो तरीका सबसे ज्यादा चलन में है, वो है- 16/8। इसमें दिन के 24 घंटे में से 8 घंटे के दौरान आप सामान्य भोजन कर सकते हैं, जबकि बाकी 16 घंटे फास्टिंग की जाती है। फास्टिंग के दौरान केवल चाय, पानी, शर्बत वगैरह लिया जा सकता है।

सर्वे के लिए 20 हजार महिला -पुरुषों के हेल्थ डेटा का एनालिसिस किया गया

शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विक्टर जोंग की अगुवाई में ये शोध किया गया। रिसर्चर्स ने अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (यूएस-सीडीसी) के हेल्थ सर्वे में शामिल 20 हजार लोगों के डेटा का एनालिसिस किया। इनमें आधे पुरुष व आधी महिलाएं शामिल थीं। लोगों की औसत उम्र 48 वर्ष थी। स्टडी में 2003 से 2019 के बीच हुई मौतों के आंकड़ों का भी एनालिसिस किया गया। शोध के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वालों को खतरा ज्यादा बताया गया।

स्टडी पर उठे सवाल

इधर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एमिरेट्स प्रोफेसर कीथ फ्रेन ने स्टडी पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि

  •  इंटरमिटेंट फास्टिंग केवल 8/16 घंटे वाला नहीं होता। इसके और भी तरीके होते हैं। जैसे 5/2 वाले तरीके में हμते के 5 दिन सामान्य भोजन, जबकि 2 दिन इंटरमिटेंट फास्टिंग की जाती है। एक और तरीका अल्टरनेट डे फास्टिंग का भी होता है।
  • दूसरी अहम बात कि जिन मरीजों के डेटा का एनालिसिस किया गया, उनमें से कितने लोगों ने कितने दिनों तक और किन तरीकों से इंटरमिटेंट फास्टिंग की, ये स्पष्ट नहीं है।

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