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नासा बना रहा प्लाज्मा रॉकेट, एस्ट्रोनॉट्स सिर्फ 2 महीने में पहुंच जाएंगे मंगल ग्रह पर

पीपीआर में न्यूक्लियर फिजन पॉवर सिस्टम होगा, जिससे रॉकेट को मिलेगी ऊर्जा

 वाशिंगटन। धरती और मंगल ग्रह के बीच की दूरी बदलती रहती है। आज की तकनीक के हिसाब से पृथ्वी से लाल ग्रह पर जाकर आने में 22 से 24 महीने लग सकते हैं। इसबीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भविष्य के लिए एक रॉकेट का प्लान तैयार किया है, जिसकी बदौलत एस्ट्रोनॉट्स मंगल ग्रह पर दो महीने में ही पहुंच जाएंगे। इस रॉकेट का नाम पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट (पीपीआर) है। नासा ने इस रॉकेट पर काम करने के लिए Howe Industries को फंडिंग दी है।

यह होगा खास

  •  इस रॉकेट का प्रोपल्शन सिस्टम बेहद खास और अत्याधुनिक है।
  • यह हाई स्पेसिफिक इंपल्स या एलएसपी पर उड़ान भरेगा। इससे इसके इंजन को ताकत मिलेगी।
  • इसके जरिए मंगल ग्रह पर कार्गो और एस्ट्रोनॉट्स दो महीने में भेजे जा सकेंगे।
  • पीपीआर में न्यूक्लियर फिजन पॉवर सिस्टम लगा होगा, जिसके जरिए रॉकेट को ऊर्जा मिलेगी। इसमें एटम को तोड़ा जाएगा।
  • एटम को तोड़ने पर भारी एनर्जी पैदा होगी, जिससे रॉकेट तेजी से आगे की ओर बढ़ेगा। लेकिन पीपीआर छोटा होगा, सिंपल होगा और कई तरह के रॉकेट्स की तुलना में किफायती होगा।

अंतरिक्ष यात्री को होगा लाभ : इतना ही नहीं छोटा होने के बावजूद यह रॉकेट भारी स्पेसक्राμट्स को गहरे अंतरिक्ष में भेज सकेगा। इसमें ऐसी टेक्नोलॉजी होगी, जिससे एस्ट्रोनॉट्स को गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणों से बचने का मौका भी मिलेगा। इससे एस्ट्रोनॉट्स लंबे समय तक अंतरिक्ष में यात्रा कर पाएंगे।

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