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पैराशूट प्रत्याशी : राजनीति का खाता खोलने मप्र रहा नेताओं की पहली पसंद

मप्र ने फिल्मकार और दूसरे राज्यों के नेताओं को भी सांसद बनाया

राजीव सोनी-भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान दूसरे राज्यों के नेताओं की पैराशूट लैंडिंग का सिलसिला पुराना है। ज्यादातर ने अपनी राजनीति का खाता यहीं से खोला। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस ने ललितपुर (उप्र) के चंद्रभूषण बुंदेला गुड्डू राजा को सागर सीट की उम्मीदवारी सौंपी है।

देश में चुनावों की शुरुआत से ही कर्नाटक, तमिलनाडू, हरियाणा, महाराष्ट्र व उप्र के कई नेता मप्र की राजगढ़, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, दमोह, भोपाल, गुना, सिवनी,विदिशा और बैतूल लोकसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरे और संसद भी पहुंचे। इन दिग्गज नेताओं में बाबूराव पटेल, जगन्नाथ राव जोशी, वसंत कुमार पंडित, रामनाथ गोयनका, गार्गीशंकर मिश्रा आदि हैं।

ये हैं वे नेता जो बाहर से आए और सांसद बन गए

जगन्नाथ राव जोशी: कर्नाटक के मूल निवास जोशी 1967 में भोपाल एवं 1971 में शाजापुर सीट पर जनसंघ से सांसद चुने गए। इसके बाद वह महाराष्ट्र में पुणे से भी चुनाव मैदान में उतरे।

बाबूराव पटेल: मुंबई के फिल्मी कलाकार पटेल जनसंघ के टिकट पर 1967 में शाजापुर सीट पर चुनाव लड़े और सांसद बने। चुनाव के दौरान वह एक माह यहां रुके फिर नहीं लौटे।

नितीश भारद्वाज: महाभारत धारावाहिक में भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाकर चर्चित हुए भारद्वाज को राजगढ़ सीट पर 1999 के चुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था। लोकप्रियता से उन्हें देखने जनसैलाब उमड़ता था।

वराह शंकर गिरि: देश के राष्ट्रपति रहे वीवी गिरि के बेटे वराह शंकर गिरि1971 के चुनाव में दमोह सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बतौर चुनाव जीते थे। 20 दिन रुके और चुनाव जीत कर दिल्ली लौट गए।

वसंत कुमार पंडित: महाराष्ट्र में जनसंघ के वरिष्ठ नेता संस्कृत के फ्रोफेसर और ज्योतिषी रहे पंडित 1977 में जनता पार्टी और 1980 में भाजपा के टिकट पर राजगढ़ से सांसद चुने गए।

रामनाथ गोयनका: इंडियन एक्सप्रेस समूह के संचालक रहे गोयनका भी विदिशा सीट पर जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। 1971 के चुनाव में वह विदिशा से सांसद चुने गए। वह बंगाल निवासी थे और बाद में मुंबई में बस गए थे।

हरि विष्णु कामथ: स्वतंत्रता सेनानी रहे कामथ ने मप्र की होशंगाबाद सीट से तीन बार (1952, 62 और 77) लोकसभा में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया। मूलत: मंगलोर कर्नाटक निवासी कामथ आईसीएस अफसर के रूप में नरसिंहपुर में डिप्टी कमिश्नर पदस्थ थे। यहीं से वह सियासत में सक्रिय हुए।

गार्गीशंकर मिश्रा: कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता रहे नागपुर के मिश्रा को भी मप्र की सीट से संसद में भिजवाया। 1977 की जनता लहर में अविभाजित मप्र की 40 सीटों में से केवल छिंदवाड़ा सीट पर ही कांग्रेस के गार्गीशंकर ने जीत दर्ज कराई थी। उन्होंने सिवनी सीट का भी प्रतिनिधित्व किया। उनके बाद 1980 में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा सीट से पूर्व सीएम कमलनाथ को मैदान में उतारा।

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