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आतंक से परेशान आतंकी मुल्क : पाकिस्तान का नया पैंतरा, अब अफगानिस्तान से हुई तनातनी, पाक ने 6 हजार आतंकियों को पनाह देने का लगाया आरोप

इस्लामाबाद। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते सुधरने के बजाय बिगड़ते जा रहे हैं। ताजा मामला प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का है। पाक ने नया पैंतरा अपनाते हुए ये आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है कि, इस संगठन के तकरीबन 6 हजार आतंकवादियों ने पड़ोसी अफगानिस्तान में शरण ली हुई है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि राजदूत आसिफ दुर्रानी ने पाक में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के बीच यह दावा किया। पाकिस्तान के अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, दुर्रानी ने ये बातें शनिवार को इस्लामाबाद स्थित विचारक संस्था ‘पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज’ (पीआईपीएस) द्वारा ‘अफगान शांति और सुलह : पाकिस्तान के हित और नीति विकल्प’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।

नई सरकार के इशारे पर दिया बयान

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दुर्रानी ने दावा किया कि आज की तारीख में लगभग 5 से 6 हजार टीटीपी आतंकी अफगानिस्तान में हैं। उन्होंने दावा किया कि अगर इसमें आतंकियों के परिजनों को जोड़ लें तो ये आंकड़ा बढ़कर 70 हजार से ज्यादा हो जाएगा। दुर्रानी ने दावा किया कि प्रतिबंधित टीटीपी के साथ पाकिस्तान की शांति वार्ता अतीत में विफल रही क्योंकि आतंकवादियों का यह समूह न तो आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार था और न ही पाकिस्तान के साथ वफादारी करने राजी। दुर्रानी के इस बयान के बाद पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर लोग जमकर उनकी आलोचना कर रहे हैं। वे इसे नई सरकार की सोची समझी प्लानिंग के तहत दिया गया बयान बता रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान कभी तालिबान के इस गुट को आर्थिक और हथिय़ारों के साथ ही आतंकी हमलों की ट्रेनिंगमें मदद तक करता था।

अब तालिबान ही बना गले की फांस

पाकिस्तान के हुक्मरानों और सेना ने लंबे समय तक तालिबान जैसे संगठनों को जमकर मदद की। उन्हें कई बार कश्मीर में आंतक फैलाने तो कभी सीमावर्ती चौकिय़ों पर कब्जा करने तक भेजा। पाकिस्तानी सीक्रेट सर्विस आईएसआई ने इन्हें सैन्य प्रशिक्षण तक मुहैया कराया, लेकिन अब ये ही देश के लिए गले की फांस बन गए हैं। पिछले कई महीनों से पाक में एक के बाद आत्मघाती और आतंकी हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान की नई सरकार चाहती है कि देश में हो रहे आतंकी हमले रुक जाएं। इन हमलों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की अहम भूमिका बताई जा रही है, लिहाजा इन्हें मनाने की कोशिश की गई। टीटीपी ने पाकिस्तान सरकार की इस शर्त को मानने से साफ इंकार कर दिया कि यह आतंकी संगठन अपने अपराधों के लिए कानून का सामना करेगा। ऐसे में अब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अपने राजदूत के जरिए टीटीपी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में नकारात्मक माहौल बनाने की कवायद शुरू की है, ताकि यह आर्थिक तौर पर खस्ताहाल मुल्क विदेश से आर्थिक मदद हासिल कर सके।

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