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सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी फाइलों में, 5 माह में दो विभाग ही दे पाए सुझाव

आत्महत्या के मामलों में मप्र, देश मेें तीसरे नंबर पर...

भोपाल। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में आत्महत्या के मामले में मप्र तीसरे नंबर पर और हिंदी भाषी राज्यों में पहले नंबर पर है। देश में 2022 में 1.70 लाख सुसाइड में से 15,386 आत्महत्या मप्र में हुई। यहां आत्महत्या मृत्युदर 17 फीसदी से अधिक है। राज्य में एक लाख की जनसंख्या में औसतन 12 लोग मौत को गले लगा रहे हैं। लेकिन अब तक सरकार आत्महत्या मृत्युदर को कम करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा पाई है। दरअसल, सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगस्त 2022 में मप्र सरकार ने सुसाइड प्रिंवेंशन पॉलिसी का मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया था।

तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री आत्महत्या के मामलों में मप्र, देश मेें तीसरे नंबर पर…लेकिन विश्वास सारंग ने दावा किया था कि इस तरह की पॉलिसी लागू करने वाला मप्र, देश का पहला राज्य होगा। हालांकि सरकार इस पर कदम आगे बढ़ाती, इससे पहले ही नवंबर 2022 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति लागू कर दी। केंद्र की रणनीति पर राज्य शासन ने जुलाई 2023 में एसीएस स्वास्थ्य की अध्यक्षता में एक आईपीएस और विभिन्न विभागों के 19 आईएएस अफसरों की समिति बनाई गई थी। इस समिति को गाइडलाइन तैयार करना था। लेकिन इसकी सिर्फ एक बैठक हो पाई है। गौरतलब है कि पांच माह में शिक्षा और गृह विभाग ही सुझाव दे पाए हैं।

अशासकीय समिति अब तक नहीं बन पाई

इधर, केंद्र सरकार के मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2017 के अंतर्गत करीब दो साल पहले राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया। इसमें एनएचएम की एमडी को सीईओ बनाया गया। प्राधिकरण में चार अशासकीय सदस्यों को शामिल करना था, लेकिन इनकी नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि एक साल पहले नशामुक्ति केंद्र संचालकों और मानसिक विशेषज्ञों के साथ भोपाल में कार्यशाला भी हुई थी, लेकिन वह भी औपचारिकता बनकर रह गई।

पारिवारिक समस्या और बीमारी बड़े कारण

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या के प्रमुख कारण परिवारिक समस्याएं और बीमारी से ग्रसित होना है। इनका प्रतिशत 52.4 है। इसके बाद ड्रग्स और शराब का सेवन, वैवाहिक कारण, प्यार में फेल होना, बेरोजगारी, रोज कमाने वालों में निराशा, व्यवसाय में फेल होना और बेरोजगारी है।

आत्महत्या मृत्युदर कम करने के लिए राज्य शासन ने अब तक अशासकीय समिति नहीं बनाई है। एक साल पहले बैठक हुई। तब कहा गया कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में संस्था का पंजीयन कराएं। लेकिन गाइडलाइन ही तैयार नहीं हुई। – राहुल सिंह, अध्यक्ष, संकल्प नशा मुक्ति केंद्र, सीहोर

केंद्र की रणनीति का मप्र में ठोस क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। हम मानसिक तौर पर परेशान लोगों को निजी स्तर पर सलाह दे रहे हैं। जागरुकता शिविर भी लगा रहे हैं। – डॉ. प्रतीश गौतम, न्यूरोसाइकियाट्री, प्रयास नशा मुक्ति एवं मनोचिकित्सा केंद्र, भोपाल

प्रदेश में आत्महत्या मृत्युदर में कमी लाने के लिए विभिन्न विभागों की एक कमेटी है। इसकी पहली बैठक में राज्य की अलग गाइडलाइन बनाने का निर्णय लिया गया। अभी तक शिक्षा और गृह विभाग से ही सुझाव मिले हैं। एनएचएम स्तर पर जल्द ही मेंटल हेल्थ असेसमेंट ऐप लॉन्च करने जा रहे हैं। – प्रियंका दास, सीईओ, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण मप्र

(इनपुट-पुष्पेन्द्र सिंह)

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