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यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि झांसी में अपने ही परिवार का किला देखने लेना पड़ता है टिकट

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वंशज योगेश का दर्द

इंदौर। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अपने परिवार का किला देखने के लिए हमें टिकट खरीदना पड़ता है। सरकार द्वारा तीन पीढ़ियों तक तो पेंशन दी जाती थी, लेकिन वह पांचवीं पीढ़ी के वंशज हमारे पिताजी अरुणराव के समय से मिलना बंद हो गई है। यह बात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के छठवीं पीढ़ी के वंशज योगेश पिता अरुण राव ने कही। इंदौर में पहली बार दो दिवसीय शहीद मेले में देश की आजादी में प्राण न्यौछावर करने वाले कई शहीद परिवारों के सदस्य पहुंचे हैं।

दामोदर राव को भी कुछ नहीं मिला

मेले में आए योगेश राव ने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए इंदौर में रहकर पढ़ाई पूरी की थी। 2011 से इंदौर के बाहर एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि महारानी झांसी काफी पराक्रमी थी। उनका नाम देश और विदेश में भी सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने बताया कि रानी साहिबा ने उनके बेटे दामोदर राव को पीठ पर बांधकर लड़ाई की थी। उनके गुजर जाने के बाद दामोदर राव दो वर्ष तक जंगल में रहे। एक समय ऐसा भी आया कि वे इंदौर में आकर बसे थे। खानदानी धरोहर झांसी के किले को लेकर कुछ दस्तावेज भी बनाए गए थे, जिसमें यह तय हुआ था कि दामोदर राव जब बालिग हो जाएंगे तो उन्हें इसे सौंपा दिया जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आज भी हमें झांसी का किला देखने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है। उन्होंने बताया कि झांसी परिवार के पांचवीं पीढ़ी के प्रमुख अरुण कृष्णराव वर्तमान में नागपुर में रहते हैं। सातवीं पीढ़ी में उनके पुत्र प्रियेश योगेश राव हैं जो वर्तमान में सातवीं कक्षा में अध्ययनरत हैं।

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