
अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी एक बार फिर उफान पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए आयात शुल्क लगाने के फैसले के जवाब में चीन ने भी बड़ा कदम उठाया है। चीन ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस फैसले से वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया है और शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई।
चीन का अमेरिका को करारा जवाब
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने अमेरिका की कार्रवाई को “अनुचित और एकतरफा” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अमेरिकी शेयर बाजारों की गिरावट की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “बाजार ने अपनी बात कह दी है।” शुक्रवार को S&P 500 में 6%, Dow Jones में 5.5% और Nasdaq में 5.8% की गिरावट दर्ज की गई।
चीन ने अमेरिका पर लगाया 34% जवाबी टैरिफ
चीन ने कहा कि, वह 10 अप्रैल से अमेरिका से आने वाले सभी उत्पादों पर 34% आयात शुल्क लगाएगा। यह कदम ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन से आयातित सामानों पर लगाए गए भारी शुल्क के जवाब में उठाया गया है। चीन ने इसे “आर्थिक दबाव और निजी स्वार्थ साधने का हथियार” करार दिया है।
“हम झगड़ा नहीं करते, लेकिन डरते भी नहीं हैं”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने अमेरिका पर “आर्थिक गुंडागर्दी” और “डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन” करने का आरोप लगाया गया। बयान में कहा गया, “हम झगड़ा नहीं करते, लेकिन हम डरते भी नहीं हैं। चीन अपनी संप्रभुता और विकास हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा।”
चीन ने यह भी साफ किया कि, वह वैश्विक व्यापार से पीछे नहीं हटेगा। “आर्थिक वैश्वीकरण मानव समाज के विकास की अनिवार्य दिशा है। दुनिया को न्याय चाहिए, न कि तानाशाही।” चीन ने कहा कि वह “उच्च स्तर की वैश्विक भागीदारी” को आगे बढ़ाएगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल
इस व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि, अगर यह टकराव लंबा खिंचा, तो इससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यूरोप और एशिया के बाजारों में भी गिरावट देखी जा रही है, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल है।
अमेरिका ने चीन पर लादा 54% टैरिफ
जनवरी में सत्ता में लौटने के बाद से ट्रंप सरकार ने चीन से आने वाले सभी सामानों पर दो बार 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं। इसके बाद अब कुल टैरिफ 54% तक पहुंच गया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम अमेरिका में अवैध रूप से आ रहे फेंटेनाइल जैसे ड्रग्स को रोकने के लिए उठाया गया है। इस बढ़े हुए टैरिफ से चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात पर गहरा असर पड़ सकता है।
चीन ने 11 अमेरिकी कंपनियों को अविश्वसनीय करार दिया
जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी अविश्वसनीय कंपनियों की सूची में डाल दिया है। इनमें ड्रोन निर्माण से जुड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। इसके अलावा 16 अमेरिकी कंपनियों पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिससे वे दोहरे उपयोग वाले चीनी सामानों का निर्यात नहीं कर सकेंगी।
दोनों देशों की तकरार से आ सकती है वैश्विक मंदी
विशेषज्ञों ने चेताया है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती तनातनी वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती है। ट्रंप की आक्रामक नीति के बावजूद दीर्घकालिक रूप से चीन को इसका लाभ हो सकता है क्योंकि कई देश ट्रेड के लिए चीन की ओर रुख कर सकते हैं।
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