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NCERT कला शिक्षा से बच्चों को जोड़ने के लिए तैयार कर रहा किताबें

राष्ट्रीय कला उत्सव के समापन पर प्रो. दिनेश सकलानी ने बताया

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, एनसीईआरटी एवं स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय कला उत्सव 2024-25 का समापन समारोह क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार तथा अपर सचिव आनंदराव विष्णु पाटिल उपस्थित थे। इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि कला उत्सव एक प्रतियोगितापरक आयोजन है, लेकिन कला की दुनिया में प्रतियोगिता नहीं, बल्कि प्रतिभागिता महत्वपूर्ण है।

कलाओं की दुनिया में कोई हारता नहीं है, बल्कि हर कोई जीतता ही है। जीतने से अधिक महत्वपूर्ण प्रयत्न करना है। इसी ध्येय के साथ कला उत्सव की शुरुआत की गई थी। धन्यवाद ज्ञापन पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. दीपक पालीवाल द्वारा किया गया।

गौशाला परिसर का उद्घाटन: कार्यक्रम में विजेता टीमों को पुरस्कृत किया गया। डीएमएस भोपाल में व्यावसायिक शिक्षा के संवर्धन के लिए प्रस्तावित व्यावसायिक खंड के निर्माण का भूमिपूजन केंद्रीय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार तथा एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी द्वारा किया गया। साथ ही क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भोपाल परिसर में गौशाला का उद्घाटन भी किया गया। इस आयोजन में 25 राज्यों व 7 केंद्र शासित प्रदेशों के 550 स्टूडेंट्स ने सहभागिता की जिसमें दिव्यांग छात्र भी शामिल थे।

कला शिक्षा को रोचक व इंक्लूसिव बनाएंगे

कला शिक्षा अब कक्षा तीसरी से ही पाठ्यक्रम का अनिवार्य भाग है और इसके लिए कला शिक्षा की पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा रही हैं। साथ ही अन्य विषयों में कला के संयोजन द्वारा उन विषयों को रोचक और समग्र बनाकर बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट पर बल दिया जा रहा है। हमने राष्ट्रीय कला उत्सव के प्रतिभागी बच्चों से उत्सव के अपने अनुभवों को कविता, कहानी, लेख, संस्मरण या किसी भी अन्य विधा में अपनी भाषा में लिखकर भेजने को कहा है। साथ ही चुने हुए 100 अनुभवों को प्रकाशित किया जाएगा और 10 श्रेष्ठ प्रविष्टियों को पुरस्कृत किया जाएगा। हमारा प्रयास एआई के दौर में मौलिक विचार व कला को बढ़ावा देना है। -प्रो. दिनेश सकलानी, निदेशक, एनसीईआरटी

विकसित भारत पर मैंने पेंटिंग बनाई थी। आंख के भीतर पूरा चित्र बनाया गया और विजन को पेश किया। जेंडर इक्वेलिटी व खेती-किसानी दिखाई, जो कि आज भी भारत की पहचान है। तकनीकी व सांस्कृतिक समृद्धि को वर्णित किया। मेरा यह पहला अनुभव था, जिसमें मैंने पूरे भारत की विविधता को इस आयोजन के जरिए देखा। -शिवांगी ठाकुर, छात्रा, कश्मीर

विज्ञान का मकसद समाज में बदलाव और समस्याओं का समाधान खोजना है: प्रवीण रामदास

31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का समापन रवींद्र भवन में उल्लास, जोश और वैज्ञानिक ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुआ। चार दिवसीय इस आयोजन ने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की समझ, थीम पर विज्ञान और नवाचार को केंद्र में रखते हुए हजारों छात्रों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। यहां 640 स्टूडेंट्स ने अपने मॉडल्स व पोस्टर प्रजेंटेशन पेश किए। मुख्य अतिथि के रूप में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी उपस्थित रहे। इस मौके पर विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सह संगठन सचिव प्रवीण रामदास ने कहा कि विज्ञान का मुख्य उद्देश्य समाज में बदलाव लाना और समस्याओं का समाधान खोजना है। इस मौके पर राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सीसी त्रिपाठी, डॉ. रश्मि शर्मा एवं डॉ. अनिल कोठारी व सीएम के सांस्कृतिक सलाहकार श्रीराम तिवारी उपस्थित रहे।

भोपाल भी सस्टेनेबल सिटी बन सकता है

मैंने सस्टेनेबल सिटी फॉर द फ्यूचर बनाया था, जिसमें डिजाइन व डेवलपमेंट से साथ सस्टेनेबल लाइफस्टाइल दिखाई। भोपाल आकर देखा कि यह सिटी बहुत खूबसूरत है और यहां के स्टूडेंट्स से मिलने का मौका मिला। आयोजन स्थल भी बहुत खूबसूरत था, मुझे लगता है यह भी एक सस्टेनेबल सिटी बन सकती है। – मो. अमदान, छात्र, यूएई

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